हिन्दू धर्म में गणेश चालीसा को विशेष महत्व है। इस चालीसा में भगवान गणेश की प्रशंसा की जाती है, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इसके पाठ से भक्तों को मानसिक शांति, समस्याओं से मुक्ति, और सफलता मिलती है।
यह माना जाता है कि चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और हर काम में सफलता सुनिश्चित करता है।
खासकर किसी भी शुभ कार्य या नए आरंभ से पहले पढ़ी जाती है, ताकि भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो और सभी रुकावटें दूर हों।

गणेश चालीसा
दोहा
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान। नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश। पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
गणेश चालीसा के लाभ
हिंदू धर्म में, गणेश चालीसा का पाठ अत्यधिक महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। इस मंत्र के माध्यम से भगवान गणेश की प्रशंसा और पूजा की जाती है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं।
इसके नियमित पाठ से जिंदगी में अनेक लाभ मिल सकते हैं। जैसे:-
सभी बाधाओं का समापन
चालीसा का पाठ सभी प्रकार की बाधाएं और समस्याएं दूर करने में मददगार है।
इसे विघ्नों से निपटने का अच्छा तरीका माना जाता है।
मानसिक शांति
इस मंत्र का जप मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान कर सकता है।
यह तनाव और चिंता कम करने में सहायक होता है।
उत्तम सफलता और समृद्धि
इस पाठ का पाठ करने से किसी भी कार्य में उत्तम सफलता हासिल की जा सकती है।
गणेशजी की कृपा से जीवन में समृद्धि और आनंद आ सकते है।
ज्ञान और बुद्धि का विकास
छात्रों और ज्ञान की भावना रखने वालों के लिए यह पाठ विशेष रूप से प्रभावी है।
भगवान गणेश बुद्धि और विवेक की वरदान देने वाले देवता हैं।
सकारात्मक कार्य में सफलता
किसी भी नये काम, जैसे नौकरी, व्यापार या विवाह से पहले इस मंत्र का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।
नियमित रूप से इसका पाठ सकारात्मक ऊर्जा को व्यक्ति में उत्पन्न कर सकता है और भगवान गणेश की कृपा पाई जा सकती है।
कब और कैसे करें गणेश चालीसा का पाठ?
कब करें?
- किसी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश चालीसा का जाप बहुत फायदेमंद होता है।
- बुधवार और चतुर्थी के दिन इसे पाठ करना विशेष अच्छा माना जाता है।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर इसे पढ़ना सबसे अनुकूल माना जाता है।
- परीक्षा, रोजगार या नए व्यवसाय की शुरुआत से पहले इसे अवश्य करें।
- गृहप्रवेश, यात्रा , या विवाह से पहले भी यह पाठ करना शुभ माना जाता है।
- नियमित रूप से पाठ करने से जीवन की समस्याओं का हल और सफलता मिलती है।

कैसे करें?
- स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और शांत स्थान चुनें।
- भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्ज्वलित करें।
- भगवान को फूल, दूर्वा, मोदक, या लड्डू अर्पित करें।
- “ऊँ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान का ध्यान दें।
- शांत मन से गणेश चालीसा का पाठ करें (कम से कम 3 बार)।
- पाठ के बाद आरती समारंभ करें और प्रसाद वितरित करें।
- नियमित रूप से पाठ करने से भगवान गणेश की अनुग्रह प्राप्त होती है।

विशेष आवश्यकताओं के लिए गणेश चालीसा का महत्व
गणेश चालीसा के पाठ को अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है जो विशेष आवश्यकता को समाप्त करने में मदद करता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, अपने भक्तों की हर समस्या का समाधान करते हैं।
- शिक्षा और पेशेवर जीवन की सफलता:
यदि आप परीक्षा में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं या करियर में उत्कृष्टि हासिल करना चाहते हैं, तो रोजाना सुबह गणेश चालीसा का पाठ करें। यह आपकी ध्यान को बढ़ाता है और बुद्धिमत्ता में सुधार करता है। - आर्थिक स्थिरता के लिए:
आर्थिक समस्याओं से प्रभावित व्यक्तियों को बुधवार को चालीसा का पाठ करना चाहिए। यह भगवान गणेश की अनुकूलता से संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है। - परिवार में एकता और खुशी के लिए:
यदि परिवार में अनबंधितता या आपस मे विवाद है, तो पूरे परिवार के साथ मिलकर चालीसा का पाठ करें। इससे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। - रुकावटों को दूर करने के लिए:
किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले चालीसा का पाठ करें। यह आपकी प्रगति में अवरोधक दूर करने में मदद करेगा।
नियमित रूप से गणेश चालीसा पढ़ने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

Frequently Asked Questions (faqs)
गणेश चालीसा क्या है?
गणेश चालीसा श्री गणेश की 40 पंक्तियों की प्रशंसा का एक धार्मिक स्तोत्र है, जो उनके महान गुण, शक्तियों और दया का वर्णन करता है।
चालीसा का पाठ करने के क्या फायदे हैं?
गणेश चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति, समस्याओं का हल, कार्यों में सफलता और जीवन में धन-संपत्ति और उत्तेजना लाता है।
गणेश चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सबसे शुभ माना जाता है।
बुधवार, गणेश चतुर्थी और चतुर्थी तिथि के दिन इसका विशेष महत्व है।
क्या गणेश चालीसा को रोजाना पढ़ा जा सकता है?
हाँ, इसे दिन में एक बार पढ़ा जा सकता है।
नियमित पाठ से श्री गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता की ऊर्जा का संचार होता है।
गणेश चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए?
आप इसे 1, 3, या 11 बार भी पढ़ सकते हैं। विशेष परिस्थितियों में इसे 21 या 108 बार पढ़ना भी शुभ माना जाता है।
क्या पाठ के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता है?
हाँ, एक साफ और शांत स्थान जहाँ श्री गणेश की प्रतिमा या चित्र हो, पाठ के लिए उपयुक्त होता है।
अधिक जानकारी के लिए:- भगवान गणेश के 26 मंत्र
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