दुर्गा सप्तशती चौथा अध्याय में देवताओ द्वारा श्री दुर्गा देवी की स्तुति का वर्णन किया गया है।
इन्द्र आदि देवताओं देवी की स्तुति
जो पुरुष सिद्धि की इच्छा रखते हैं और जिनकी सेवा करते हैं, जिन्हें सभी ओर से देवता घेरते हैं, वे ” जया ” नाम वाले दुर्गा देवी का ध्यान करे।उनकी शारीरिक आभा काले मेघ के समान होती है, जो उनके तेज और शांति का प्रतीक है। वे अपने कटाक्षों से शत्रु समूह को भय प्रदान करती हैं। उनके मस्तक पर चंद्रमा चमकते हैं, जो उनकी महिमा को दर्शाते हैं।वे अपने हाथों में शंख, चक्र, कृपाण और त्रिशूल धारण करती हैं, जो उनके अद्वितीय सामर्थ्य और शक्ति का प्रतीक हैं।
उनके तीन नेत्र होते हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान असीमित ज्ञान का प्रतीक हैं। वे सिंह के कंधे पर चढ़ी होती हैं और अपनी तेज़ आभा से तीनों लोकों को परिपूर्ण करती हैं।जो व्यक्ति इस दिव्य रूप में देवी का ध्यान करते हैं, उनकी सिद्धियाँ और इच्छाएँ पूरी होती हैं। उनकी भक्ति और ध्यान से व्यक्ति हर संकट से उबरता है और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
देवताओं द्वारा भगवती की स्तुति
भगवती दुर्गा के अद्भुत रूप और शक्तियों का वर्णन देवताओं ने अपनी स्तुति में किया। देवताओं जैसे इन्द्र आदि ने भगवती के सिर और शरीर को झुका कर उनकी महिमा की सराहना की। भगवती दुर्गा ने अपनी शक्ति से महिषासुर के रूप में राक्षसों का संहार किया और उनके विशाल सैन्य का नाश किया। यह कार्य करके उन्होंने सभी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्हें अपनी शक्ति का अनुभव कराया।
हम उन भगवती दुर्गा को श्रद्धा और भक्ति से प्रणाम करते हैं, जिन्होंने अपनी शक्ति से इस संपूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण किया है और जिन्हें सभी देवता और ऋषि सम्मानित करते हैं। वे हमारी प्रार्थना को सुनकर हमें आशीर्वाद दें।
चंडी देवी का अद्वितीय प्रभाव और शक्ति
चंडी देवी की शक्ति और प्रभाव को भगवान विष्णु, शंकर और ब्रह्मा भी नहीं माप सकते। वे सम्पूर्ण विश्व का पालन करती हैं और शोक और भय को नष्ट करती हैं। पवित्र आत्माओं के घरों में वे लक्ष्मी के रूप में निवास करती हैं, जबकि पापियों के घरों में वे अलक्ष्मी के रूप में वास करती हैं।
दुर्गा माता का महात्म्य
हे दुर्गा, हम आपका शरणागत हो कर प्रणाम करते हैं। आपकी अकल्पनीय रूप और आपकी शक्तियों का हम किस प्रकार वर्णन करें, जिनसे आप असुरों का संहार करती हैं और देवताओं के साथ उनका सामंजस्य बनाए रखती हैं। आप त्रिगुणात्मक होते हुए भी सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सृष्टि की मूल कारण हैं।
आप ऐसी देवी हैं जिनका कोई भी देवता, जैसे भगवान विष्णु या शंकर, पार नहीं कर सकते। आप सभी का आधार हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड आपके ऊपर आधारित है क्योंकि आप ही सारे तत्वों की स्रोत हैं।
स्वाहा और स्वधा का महत्व
स्वाहा, जो आपके नाम के उच्चारण से यज्ञों में लाभ देती है, वह हमें मिलती है। आप उन संतानों के लिए भी स्वधा हैं जो अपने पूर्वजों के साथ पुण्य में भागीदार होते हैं। यह तेल, जो विधवाओं को शांति और मोक्ष प्रदान करता है, आपकी महान बुद्धि का प्रतीक है।
आपकी महिमा और हमारी प्रार्थना
आप वह देवी हैं जो तत्वों के सार को नियंत्रित करती हैं और सभी दोषों को नष्ट करती हैं। वे ऋषि जो मोक्ष की साधना करते हैं, उनकी शरण में आप ही होती हैं। आप जल के रूप में वास करती हैं और यजुर्वेद, सामवेद तथा अन्य श्रेष्ठ मंत्रों में पूजा का आशीर्वाद देती हैं।
आप ही आशा की देवी हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में आपकी महिमा स्थापित है। आपकी कृपा से ही सम्पूर्ण सृष्टि का पालन होता है। हम सभी आपकी शरण में हैं और आपके आशीर्वाद के इच्छुक हैं।
पापों को नष्ट करने वाली भगवती दुर्गा की स्तुति
आप वही देवी हैं जिन्होंने इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना और पालन के लिए अपना रूप धारण किया है। आप ही वह शक्ति हैं जो सम्पूर्ण संसार के दुखों को नष्ट करती हैं। आप वह बुद्धि शक्ति हैं, जिसके माध्यम से सभी वेदों और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त होता है और आप ही वह देवी हैं जो संसार के अटल सागर को पार करने का मार्ग दिखाती हैं।
आप विष्णु के हृदय में लक्ष्मी के रूप में वास करती हैं और भगवान महादेव के द्वारा सम्मानित की जाती हैं। आप गौरवी देवी हैं जिनका चेहरा चंद्रमा की तरह हल्का और प्यारा है और जिनकी सुंदरता सर्वश्रेष्ठ सोने से भी सुंदर है। आपके क्रोध के कारण भी महान लोग शरणागत हो जाते हैं, जो एक चमत्कारी बात है।
हे देवी, जब आपका क्रोध चंद्रमा की रात की तरह लाल हुआ और आपने भयावह रूप धारण किया, तो वह रूप भय और भयावहता का प्रतीक बन गया। यहां तक कि ऐसा रूप देखने पर भी शत्रु नहीं टिक पाते। यह एक आश्चर्यजनक बात है, और इस रूप को देखकर कोई भी जीवित नहीं रह सकता।
भगवती दुर्गा का आशीर्वाद और हमारे कल्याण का कारण
हे देवी, आप हमारे कल्याण के लिए प्रसन्न होती हैं। जब आप अपनी दृष्टि से इस संसार को सृजित करती हैं, तो जब आप क्रोधित होती हैं, तब कई पुण्य नष्ट हो जाते हैं। फिर भी, आप संसार के लिए सम्पूर्ण आशीर्वाद की स्रोत हैं।
जब आपने महिषासुर के विशाल सेना का संहार किया, तब आपकी शक्ति और शक्ति का कोई मुकाबला नहीं था। आप हमेशा भय और अशांति को नष्ट करने वाली देवी हैं, जिन पर आपकी कृपा होती है, उनके जीवन में सुख, समृद्धि, प्रसिद्धि और धर्म की वृद्धि होती है। आपके आशीर्वाद से वे व्यक्ति संसार में अपनी स्थिति मजबूत करते हैं।
दुर्गा की ध्यान और भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति
जो व्यक्ति हर दिन भक्ति से आपकी याद करता है और धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है, वह आपकी कृपा से स्वर्गलोक को प्राप्त करता है। आप सभी तीनों लोकों में इच्छाओं के अनुसार फल देने वाली देवी हैं। जो लोग आपका ध्यान करते हैं, आप उन्हें महान आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
संसार के दुखों को समाप्त करने वाली दुर्गा देवी
हे देवी, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड के दुःखों को नष्ट करने वाली हैं, हम आपकी स्तुति करते हैं और आपके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। आपकी कृपा से हम सभी दुखों से मुक्त हो सकते हैं और जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
आपकी अद्वितीयता और सौंदर्य
हे देवी, आपके जैसा कोई नहीं है। आपकी तस्वीर हमेशा दूसरों के कल्याण के लिए लगाई जाती है। आप उन सत्त्रों में विश्वास करती हैं, क्योंकि इन्हीं के माध्यम से अन्य लोग सुखी होते हैं, भले ही वे नरक में ही क्यों न हों। आप ने उन पापों को लंबे समय तक सहन किया है, ताकि लोग स्वर्ग की ओर जा सकें, लेकिन आप उन्हें सीधा स्वर्ग में जाने का रास्ता दिखाने में सक्षम हैं।
आपकी शक्ति और विचारों की महानता
हे देवी, आप अपनी शक्ति के माध्यम से केवल एक दृष्टि से समस्त राक्षसों को नष्ट कर सकती हैं। आपकी शक्ति को कोई भी हथियार नष्ट नहीं कर सकता, क्योंकि आपके विचारों में अच्छाई और दिव्य उद्देश्य का प्रभाव है। आपकी त्रिशूल की रौशनी और आभा के द्वारा राक्षसों का नाश हुआ, लेकिन आपकी आँखों से कोई आंसू नहीं गिरे, क्योंकि आप जो देख रही थीं, वह एक सुंदर रूप था जो चंद्रमा की तरह चमकता था।
आपका यह दिव्य रूप समस्त शोकों को नष्ट करने वाला है। आपका रूप, जिसकी कल्पना करना भी असंभव है, और आपकी नाक की सुंदरता जिसकी तुलना कहीं और नहीं की जा सकती। आपकी शक्ति और साहस शत्रुओं को नष्ट करने में सक्षम हैं। आप न केवल युद्ध के मैदान में शत्रुओं का संहार करती हैं, बल्कि उनके प्रति अपनी करुणा भी दिखाती हैं।
दुश्मनों के प्रति आपकी दया और अनुकंपा
हे देवी, आप युद्ध के मैदान में अपनी शक्ति और दया के साथ शत्रुओं को नष्ट कर देती हैं, लेकिन उनके प्रति आपकी करुणा भी कभी कम नहीं होती। आप साक्षात उस शक्ति का रूप हैं, जो शत्रुओं के संहार के बाद भी उन्हें स्वर्ग भेजने में सक्षम है।
आपने अपनी शक्ति से तीनों लोकों की रक्षा की है और उन दुष्ट राक्षसों को नष्ट किया है, जो हमारे लिए खतरा बने हुए थे। आप ही वह देवी हैं, जिन्होंने हमें शांति और सुरक्षा प्रदान की है।
आपकी दिव्य शक्ति की स्तुति
हे देवी, आप जैसी कोई नहीं है, और आप ही वह शक्ति हैं, जो हमारे लिए रक्षा और कल्याण का कारण बनती हैं। हम आपकी असीम कृपा और शक्ति का सम्मान करते हैं और आपके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
हम आपकी वंदना करते हैं, हे देवी, कृपया हमें सूर्य और बिजली के आघात से, और घंटी की आवाज और धनुष की आवाज से बचाइए। ओ चंद्रमा की माता, कृपया अपना चंद्रमा घुमाएं और हमें पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं से सुरक्षित रखें। आप के काले रूप से हमें बचाएं और इस पृथ्वी की रक्षा करें, ओ अम्बे।
आपकी दिव्य शक्ति और शस्त्रों से सुरक्षा
हमें आपके हाथों में सजाए गए खड्ग, शूल और कटा आदि जैसे शस्त्रों से बचाइए। जब देवताओं ने माँ भगवती की पूजा की और नंदनवन में पुष्पों और सुगंधित वस्त्रों से उनका सम्मान किया, तो माँ ने प्रसन्न होकर देवताओं से कहा कि “आप सभी ने मुझसे जो वर मांगे थे, वे सब पूर्ण हो गए हैं।”
देवी भगवती का आशीर्वाद
माँ ने कहा, “आपने हमारे शत्रु महिषासुर का वध किया है, और यदि आप हमसे कोई और पुरस्कार चाहते हैं, तो केवल इतना करें कि जब हम आपको सम्मान दें, तो आप हमें दर्शन देकर हमारे दुखों को दूर करें। आप हमारी पूजा करें और साथ ही हमें अपार समृद्धि, ऐश्वर्य और वैभव प्रदान करें। हमारा धर्म और सम्पत्ति बढ़ाएं और हमारी स्त्रियाँ हमेशा हमारे साथ संतुष्ट रहें।”
महाराज ने कहा, “जब देवताओं ने इस प्रश्न को पूछा, तो देवी भगवती ने केवल ‘तथास्तु’ कहकर उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके बाद वे सभी दिव्य रूप में अपने स्थान को वापस लौट गए।”
दुर्गा देवी का जन्म और विश्व के कल्याण के लिए उनकी भूमिका
मैंने आपको यह पूरी कहानी बताई है कि कैसे यह देवी, जो तीनों लोकों के कल्याण के लिए उत्पन्न हुईं, देवताओं के शरीर से जन्मी। इसके बाद उन्होंने शत्रु महिषासुर और उसकी सेना का वध किया और सभी प्राणियों की रक्षा की।
इस प्रकार, दुर्गा सप्तशती चौथा अध्याय में यह पूरा घटनाक्रम हुआ जैसे देवी गौरी के शरीर से जन्मी और उन्होंने विश्व की रक्षा के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग किया।