चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और चैत्र नवरात्रि व्रत रखा जाता है।
यह व्रत भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
इस चैत्र नवरात्रि व्रत के दौरान उपवास रखा जाता है, जिससे शरीर और मन शुद्ध होता है।
यह नवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ से भी जुड़ी है।
सही तरीके से चैत्र नवरात्रि व्रत करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।
इस लेख में हम चैत्र नवरात्रि व्रत की पूरी विधि, व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए, किन चीजों से परहेज करना चाहिए और कुछ खास उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

चैत्र नवरात्रि व्रत का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर रामनवमी तक चलती है।
चैत्र नवरात्रि व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है।
धार्मिक महत्व
- यह व्रत देवी शक्ति की आराधना का पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- इसका संबंध रामनवमी से भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था।
- इस व्रत को करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक महत्व
- यह व्रत आत्मसंयम और साधना को बढ़ावा देता है।
- व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक जागरूकता आती है।
- व्रत के दौरान ध्यान, मंत्र जाप और साधना करने से मन की चंचलता दूर होती है।
चैत्र नवरात्रि व्रत की संपूर्ण विधि
घटस्थापना (कलश स्थापना)
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
तांबे या मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश पर आम के पत्ते रखें और एक नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से लपेट दें।
इस कलश को नौ दिनों तक पूजा कक्ष में रखें और नियमित रूप से जल चढ़ाएं।

मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र की स्थापना
घर के पूजा स्थल को साफ करके मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
प्रतिदिन दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती, श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
संकल्प और व्रत की शुरुआत
व्रत रखने और नियमों का पालन करने का संकल्प लें।
मन में सकारात्मक भावनाएं रखें और संयम बनाए रखें।
प्रतिदिन मां के नौ रूपों की पूजा करें
दिन | देवी का स्वरूप | पूजन विधि | भोग |
प्रथम | शैलपुत्री | सफेद वस्त्र पहने | गाय का दूध |
द्वितीय | ब्रह्मचारिणी | दीप जलाये | मिश्री और दूध |
तृतीय | चंद्रघंटा | घंटा बजाकर आरती करें | दूध से बनी मिठाई |
चतुर्थ | कुष्मांडा | पुष्प अर्पित करें | मालपुआ |
पंचम | स्कंदमाता | गंगाजल चढ़ाये | केला |
षष्ट | कात्यायनी | रोली कुमकुम लगाए | शहद |
सप्तम | कालरात्रि | नीला वस्त्र पहने | गुड़ |
अष्टमी | महागौरी | कन्या पूजन करें | नारियल |
नवमी | सिद्धिदात्री | हवन करें | तुलसी पत्ता |

कन्या पूजन और व्रत पारण
अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं।
दक्षिणा, लाल चुनरी और फल चढ़ाएं।
इसके बाद विधि-विधान से व्रत खोलें।

चैत्र नवरात्रि व्रत के दौरान क्या खाएं?
व्रत के दौरान खाने योग्य खाद्य पदार्थ
फल: केला, सेब, अनार, नारियल
सूखे मेवे: बादाम, अखरोट, मखाना
अनाज: समा चावल, कुट्टू का आटा
दूध और दूध से बने उत्पाद: दही, पनीर, छाछ
सब्जियाँ: आलू, लौकी, कद्दू, खीरा
पेय पदार्थ: नारियल पानी, हर्बल चाय
व्रत के दौरान किन चीजों से बचें
गेहूँ, चावल, दालें
लहसुन, प्याज
मांसाहारी भोजन और शराब
तली हुई चीजें
व्रत के कुछ स्वादिष्ट व्यंजन
साबूदाना खिचड़ी
कुट्टू की पूरी
मखाना खीर
चैत्र नवरात्रि व्रत के लिए विशेष उपाय
- धन प्राप्ति के उपाय
माँ लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएँ।
“ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- कर्ज से मुक्ति के उपाय
नवरात्रि में मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं।
- संतान प्राप्ति के उपाय
“ॐ कात्यायन्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- ग्रह दोषों के निवारण के उपाय
नवरात्रि में देवी के मंत्रों का जाप करें और हवन करवाएं। चाहे तो दुर्गा सप्तशती का भी पाठ कर सकते हैं।
नवरात्रि व्रत के वैज्ञानिक लाभ
- शारीरिक शुद्धि: व्रत करने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
- मानसिक शांति: ध्यान और मंत्रों के जाप से तनाव कम होता है।
- पाचन क्रिया में सुधार: हल्का और सात्विक भोजन पाचन तंत्र को आराम देता है।
- ऊर्जा संतुलन: व्रत करने से शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है।

निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन को सकारात्मकता से भरने का एक साधन है।
इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ मिलता है।
सात्विक भोजन का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है और विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखें और अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।