चैत्र नवरात्रि का पहला दिन बहुत शुभ होता है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है और इसे साल में दो बार मनाया जाता है- चैत्र और शारदीय नवरात्रि।
चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से वसंत ऋतु में आती है और इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कैसे पूजा करें, व्रत की शुरुआत कैसे करें और क्या खाएं।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का महत्व
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और उन्हें नवदुर्गा का पहला रूप माना जाता है।
इनकी पूजा करने से भक्त को मानसिक और शारीरिक शुद्धता मिलती है।
व्रत शुरू करने के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है।

चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन की पूजा विधि
- कलश स्थापना (घटस्थापना)
कलश स्थापना नवरात्रि पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे करने की सही विधि इस प्रकार है:
कलश स्थापना का शुभ समय:
30 मार्च 2025 को घटस्थापना है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 2025- घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:13 मिनट से प्रारंभ होगा और सुबह 10:21 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से दोपहर 12:50 मिनट तक रहेगा।
कलश स्थापना ब्रह्म मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में करनी चाहिए।
पंचांग देखकर सही समय तय किया जाता है।
इस दिन शुभ चौघड़िया में घटस्थापना करना सबसे अच्छा माना जाता है।
कलश स्थापना के लिए सामग्री:
मिट्टी या तांबे का कलश
साफ पानी
आम के पत्ते
नारियल
सुपारी
कलावा (मौली)
अक्षत (चावल)
सिक्के
मिट्टी और जौ बोने का बर्तन
कलश स्थापना की विधि:
- साफ जगह पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- वहां मिट्टी डालकर जौ बोएं।
- एक कलश लें और उसमें गंगाजल भरें।
- कलश में सुपारी, चावल और सिक्के डालें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और नारियल स्थापित करें।
- कलश पर मौली लपेटें और स्वस्तिक बनाएं।
- अंत में इसे देवी के पास रखें और पूजा करें।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
- आसन ग्रहण करें: साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर बैठें।
- दीपक जलाएं: घी का दीपक जलाएं।
- आह्वान करें: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करके मां शैलपुत्री का आह्वान करें।
- मां को स्नान कराएं: उन्हें दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं।
- सिंहासन पर स्थापित करें: देवी को लाल वस्त्र पहनाएं और आभूषण अर्पित करें।
- फूल चढ़ाएं: लाल फूल, बेलपत्र, दूर्वा चढ़ाएं।
- भोग लगाएं: दूध से बनी मिठाई, मिश्री और फल चढ़ाएं।
- आरती करें: “जय अम्बे गौरी” आरती गाएं।
- कवच और मंत्र का जाप करें: “ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- प्रसाद बांटें: पूजा संपन्न होने के बाद परिवार और भक्तों को प्रसाद बांटें।
- दुर्गा सप्तश्ती पाठ: चैत्र नवरात्रि में दुर्गा सप्तश्ती का पाठ अत्यंत लाभकारी माना जाता हैं।
चैत्र नवरात्रि व्रत शुरू करने की विधि
नवरात्रि का व्रत एक विशेष संकल्प के साथ शुरू किया जाता है।
व्रत संकल्प विधि:
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें:
“मम सर्वपापक्षाय पूर्व आयुरारोग्यसिद्ध्यर्थं धर्मार्थकाममोक्षचतुर्विधफलाप्राप्तये नवरात्रव्रतं करिष्ये।”
- इसके बाद पूरे दिन मां का ध्यान करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
क्या खाएं और क्या न खाएं
व्रत के दौरान खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ:
- फल और सूखे मेवे: केला, सेब, अंगूर, अनार, नारियल, काजू, बादाम, अखरोट, मखाना।
- साबूदाना: साबूदाना खिचड़ी या खीर।
- सिंघाड़े और कुट्टू का आटा: इससे पराठा, पूरी, हलवा बनाया जाता है।
- सामक चावल: सामक खिचड़ी, सामक पुलाव।
- दूध और दूध से बने उत्पाद: दूध, दही, पनीर, छाछ।
- नवरात्रि स्पेशल नमक: केवल सेंधा नमक का उपयोग करें।
- गुड़ और शहद: मिठाई के लिए मिश्री, शहद या गुड़ का उपयोग करें।
व्रत के दौरान वर्जित खाद्य पदार्थ:
- गेहूं, चावल, मक्का
- प्याज, लहसुन
- तेल और मसालेदार भोजन
- शराब, धूम्रपान
- मांस, मछली, अंडा जैसे तामसिक भोजन
चैत्र नवरात्रि व्रत के महत्वपूर्ण सावधानियां और नियम
- नवरात्रि के दौरान सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
- क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष से बचें और ध्यान और साधना पर ध्यान दें।
- पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करें।
- घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- कन्या पूजन के लिए आवश्यक सामग्री पहले से तैयार रखें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ होता है।
नवरात्रि के पहले दिन के लिए खास उपाय
- सुख-समृद्धि के लिए: घर में देवी मां के सामने अखंड ज्योति जलाएं।
- रोग निवारण के लिए: मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करें।
- कार्य में सफलता के लिए: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए: नवरात्रि में मां को लाल चूड़ियां अर्पित करें।

निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
सही तरीके से कलश स्थापना, पूजा और व्रत करने से हमें मां का आशीर्वाद मिलता है।
सात्विक आहार और नियमों का पालन करने से हम आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त कर सकते हैं।
यह पर्व शक्ति उपासना का सर्वोत्तम समय है, जिसमें भक्ति और विश्वास के साथ किए गए हर कार्य का शुभ फल मिलता है।