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Maa Siddhidatri pujan v Visarjan: चैत्र नवरात्रि नवमी की संपूर्ण जानकारी

Anushka Mishra
Last updated: March 24, 2025 4:03 pm
By Anushka Mishra
9 Min Read
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चैत्र नवरात्रि नवमी के दिन मां दुर्गा के नौवे स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की पूजा और दुर्गा विसर्जन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

Contents
कौन हैं मां सिद्धिदात्री?मां सिद्धिदात्री का स्वरूपमाँ सिद्धिदात्री की कृपा से मिलने वाले लाभचैत्र नवरात्रि नवमी पूजा विधिसुबह की तैयारीचैत्र नवरात्रि नवमी की पूजन सामग्रीचैत्र नवरात्रि नवमी की पूजन विधिचैत्र नवरात्रि नवमी के दिन दुर्गा विसर्जन विधिदुर्गा विसर्जन का महत्वमां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के उपायचैत्र नवरात्रि नवमी व्रत के नियमउपसंहार

मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां स्वरूप हैं, जो भक्तों को सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं।

इस दिन विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है और नवरात्रि अनुष्ठानों का विधिवत समापन किया जाता है।

इसके अलावा नवमी के दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने का प्रतीक है।

इस लेख में हम चैत्र नवरात्रि नवमी की पूजा विधि, दुर्गा विसर्जन की विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

कौन हैं मां सिद्धिदात्री?

नवदुर्गा के अंतिम स्वरूप में मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की देवी माना जाता है।

देवी भागवत और अन्य शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री के स्वरूप के बारे में विस्तार से बताया गया है।

मां सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

नवरात्रि नवमी के दिन पूजी जाने वाली देवी मां सिद्धिदात्री के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में गदा, दूसरे हाथ में चक्र, तीसरे हाथ में शंख और चौथे हाथ में कमल है।

वे कमल के आसन पर विराजमान हैं और उनका वाहन सिंह है।

माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्य और दयालु है।

माँ सिद्धिदात्री की कृपा से मिलने वाले लाभ

सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।

जीवन की कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं।

इच्छाएँ पूरी होती हैं।

मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है।

चैत्र नवरात्रि नवमी पूजा विधि

सुबह की तैयारी

ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

संकल्प लें कि आप पूरे विधि-विधान से माँ की पूजा करेंगे।

चैत्र नवरात्रि नवमी की पूजन सामग्री

माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र

गंगा जल, शुद्ध जल

अक्षत, रोली, चंदन, हल्दी

धूप, दीप, कपूर

कमल या अन्य सफेद फूल

सफेद मिठाई, पंचामृत

नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची

नवमी हवन के लिए हवन सामग्री

चैत्र नवरात्रि नवमी की पूजन विधि

  • माँ सिद्धिदात्री का ध्यान करें और “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • माँ को अक्षत, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  • माँ को सफेद मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएँ।
  • दुर्गा सप्तशती के नौवें अध्याय का पाठ करें।
  • नवमी हवन करें और उसमें गाय का घी डालें।
  • कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
  • माँ की आरती करें और प्रसाद बाँटें।

चैत्र नवरात्रि नवमी के दिन दुर्गा विसर्जन विधि

नवरात्रि के आखिरी दिन दुर्गा विसर्जन किया जाता है, जो मां दुर्गा को भावभीनी विदाई देने की परंपरा है।

इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति पूरी करते हैं और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

विसर्जन से पहले देवी की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें उन्हें नए कपड़े, फूल और भोग चढ़ाए जाते हैं।

फिर भक्त देवी की महाआरती करते हैं और दुर्गा मंत्रों का जाप करते हैं।

इसके बाद देवी की मूर्ति या कलश को किसी पवित्र जल स्रोत- जैसे नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित किया जाता है।

यदि जल विसर्जन संभव न हो तो घर में रखे कलश का जल तुलसी के पौधे में चढ़ाया जाता है।

यह अनुष्ठान नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाता है, जिससे वे आध्यात्मिक रूप से मजबूत होते हैं।

दुर्गा विसर्जन

दुर्गा विसर्जन का महत्व

दुर्गा विसर्जन केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और ऊर्जा का प्रवाह है।

यह दर्शाता है कि शक्ति और भक्ति का चक्र निरंतर चलता रहता है।

जब हम मां दुर्गा का विसर्जन करते हैं, तो हम स्वीकार करते हैं कि शक्ति हमेशा प्रवाहित होती है और अगले वर्ष फिर से मां का स्वागत किया जाएगा।

यह प्रक्रिया नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है, जीवन को सकारात्मकता से भर देती है।

विसर्जन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भक्तों को त्याग और विनम्रता का पाठ पढ़ाता है।

मां का शरीर से विदा होना यह संदेश देता है कि हर शुभ कार्य का उचित अंत होता है।

विसर्जन के साथ, भक्त मां दुर्गा से हमेशा अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं।

यह समाज में एकता, सहयोग और धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है, जो भक्तों में आस्था और भक्ति बनाए रखता है।

मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के उपाय

मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी हैं।

भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिए।

सबसे पहले मां के मंत्र “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें।

इस मंत्र का जाप करते समय एकाग्रता और भक्ति बनाए रखें।

देवी को सफेद फूल, खास तौर पर कमल का फूल चढ़ाएं, क्योंकि यह उनका पसंदीदा फूल है।

भक्त देवी को खीर, मिश्री और नारियल का भोग लगा सकते हैं।

गरीबों को भोजन, कपड़े और जरूरी सामान दान करना भी देवी को प्रसन्न करने का एक बेहतरीन तरीका माना जाता है।

इसके अलावा नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन सिद्धिदात्री यंत्र की पूजा करें और देवी की कथा का पाठ करें।

हवन में घी और गुग्गुल चढ़ाने से देवी की कृपा जल्दी मिलती है।

इन उपायों से देवी सिद्धिदात्री जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सिद्धियां और मनचाहा फल प्रदान करती हैं।

चैत्र नवरात्रि नवमी व्रत के नियम

नवमी व्रत नवरात्रि का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं।

इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्तियों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद मां की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

इस दिन सात्विकता बनाए रखना आवश्यक है, इसलिए तामसिक भोजन, मांसाहारी भोजन और नशे से दूर रहें।

पूरे दिन मां के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती या सिद्धिदात्री स्तोत्र का पाठ करें।

संभव हो तो केवल फलाहार करें या दिन में एक बार भोजन करें।

नवमी के दिन कन्या पूजन का बहुत महत्व माना जाता है।

नौ कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र, श्रृंगार का सामान और दक्षिणा दें।

इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है और मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होती है।

जाने कन्या पूजन के संपूर्ण विधिवत जानकारी

चैत्र नवरात्रि नवमी

उपसंहार

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री की पूजा और दुर्गा विसर्जन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

मां सिद्धिदात्री भक्तों को आध्यात्मिक और सांसारिक सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए इस दिन उनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।

नवमी के दिन कन्या पूजन और दान का विशेष महत्व होता है, जो मां की कृपा पाने का सबसे अच्छा तरीका है।

दुर्गा विसर्जन भक्तों की शक्ति के प्रवाह और समर्पण का प्रतीक है।

इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और जीवन में नई सकारात्मकता आती है।

विसर्जन के साथ ही माता से आशीर्वाद लेने और अगले वर्ष फिर से उनका स्वागत करने का संकल्प लिया जाता है।

सही तरीके से पूजा और विसर्जन करने से सुख, समृद्धि और शांति आती है।

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ByAnushka Mishra
An enthusiast author at Marg Darshan who holds the proficiency in the fields of Finance, Ethics and Sports.
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