चैत्र नवरात्रि की हिंदू धर्म में विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है।
चैत्र मास में मनाए जाने वाले नवरात्रों को वसंत नवरात्र भी कहा जाता है।
इस साल ये नवरात्र 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रहे हैं और 6 अप्रैल, रविवार तक रहेंगे।
ग्रीष्मकालीन चार दिवसीय चैती छठ पूजा की शुरुआत 1 अप्रैल को नहाय-खाय परंपरा से होगी।
इस दिन व्रती लोग चैती छठ का संकल्प लेंगे।
अगले दिन 2 अप्रैल को खरना के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगे।
3 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे।
इसके अगले दिन यानी 4 अप्रैल को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर यह कठिन व्रत समाप्त होगा।
इस बार आठ दिन होंगे चैत्र नवरात्रि
इस बार चूंकि अष्टमी और नवमी तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं, इसलिए चैत्र नवरात्रि 8 दिन की ही होंगी ।
जब नौ दिन के नवरात्र आठ दिन में ही समाप्त हो जाते हैं, तो इसे क्षय नवरात्र कहा जाता है।
यह तब होता है, जब किसी तिथि का क्षय (लुप्त) हो जाता है यानी, कोई एक तिथि सूर्योदय के अनुसार गणना में लुप्त हो जाती है।

इसका निश्चित ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व होता है।
चूंकि हिंदू पंचांग में तिथियां चंद्र मास के आधार पर निर्धारित होती हैं।
ऐसे में कभी-कभी कोई. एक तिथि इतनी जल्दी समाप्त हो जाती है कि वह सूर्योदय के समय उपलब्ध नहीं होती, इसे क्षय तिथि कहा जाता है।
जब नवरात्र में ऐसा हो जाता है तो फिर नवरात्र आठ दिन में ही समाप्त हो जाते हैं।
इस साल आठवीं तिथि का क्षय हो रहा है, इसलिए वह नवीं तिथि में ही शामिल हो गई है।
आठ दिवसीय नवरात्र की महत्ता
माना जाता है कि आठ दिनों में चैत्र नवरात्रि समाप्त होने पर सभी नौ शक्तियों की पूजा संक्षिप्त रूप में संपन्न हो जाती है।
इसलिए कुछ धार्मिक विद्वानों के मुताबिक आठ दिन के नवरात्र विशेष रूप से फलदायी होते हैं।
क्योंकि इनमें देवी की कृपा अधिक तेजी से प्राप्त होती है।
इस दौरान किए गए व्रत, हवन, कन्या पूजन और साधना का विशेष फल मिलता है।
आमतौर पर अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन
जब नवरात्र आठ दिन में समाप्त हो जाता है, तो अष्टमी को ही नवमी मानकर कन्या पूजन किया जाता है।
इस स्थिति में कुछ स्थानों पर एक ही दिन अष्टमी और नवमी का हवन और पूजन किया जाता है।
इसलिए इसे एक विशिष्ट योग समझा जाता है।
इसलिए यदि नवरात्र आठ दिन में समाप्त हो रहे हों, तो साधकों
को संपूर्ण श्रद्धा और नियमों के अनुसार पूजा करनी चाहिए ताकि आठ दिनों में ही सभी नौ शक्तियों का ‘आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

देवी साधना के लिए महत्वपूर्ण
नवरात्र चाहे चैत्र के हों या शारदीय, धार्मिक श्रद्धा रखने वाले हिंदुओं के लिए ये विशेष अवसर होते हैं।
जब हम मां दुर्गा की पूजा आराधना करके अपने जीवन को शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि व्रत रखने से न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है बल्कि मानसिक और शारीरिक मजबूती और प्रखरता भी आती है।
नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
जब आठ दिन के नवरात्र हों तो यही पूजा आठ दिनों में की जानी चाहिए।
नवरात्र का पूरा समय आध्यात्मिक साधना, उपवास और आत्मशुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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कलश स्थापना और हवन
नवरात्र के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है, जिससे पूरे नौ दिनों तक देवी मां की घर में उपस्थिति रहती है।
अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन के साथ हवन किया जाता है, जो शक्ति आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चैत्र नवरात्र केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है।
क्योंकि माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति इन्हीं दिनों में हुई है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चैत्र मास की प्रतिपदा को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी।
इसलिए इसे नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव
चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन 7 को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
इसलिए चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को विष्णु भक्ति और शक्ति उपासना दोनों से जोड़ा जाता है।
इसी दिन विक्रम संवत का नया वर्ष शुरू होता है, जिसे भारत के कई हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
जैसे कि गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र), उगादी (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक) और बैसाखी (पंजाब)।

कृषि और प्रकृति से जुड़ाव
नवरात्र के समय वसंत ऋतु अपने उत्कर्ष पर होता है, जो फसलों के कटाई और नए कृषि चक्र की शुरुआत का भी प्रतीक होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस दौरान विशेष मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है।
संगीत, नृत्य और रामलीलाओं का मंचन भी होता है।
वैसे व्यापक तौर पर रामलीलाओं का आयोजन और मंचन शारदीय नवरात्रों में भी होता है, लेकिन कहीं-कहीं चैत्र नवरात्र में भी होता है।
स्वास्थ्य संबंधी महत्व
चैत्र माह में जब नवरात्र होते हैं, वह समय ऋतु परिवर्तन का होता है।
इसलिए आयुर्वेद के अनुसार इन दिनों व्रत या उपवास करना शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है।
इस तरह देखें तो चैत्र नवरात्रि केवल देवी उपासना का समय ही नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक परिवर्तन का भी प्रतीक है।
ये भारतीय परंपराएं सनातन संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
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