इस लेख में विस्तार से जानें बसंत पंचमी 2025 तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में | माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
पूजा में बच्चों को अवश्य शामिल करें, ताकि बच्चों को भी माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो और वे अपने जीवन में लक्ष्य प्राप्त कर सकें।
बसंत पंचमी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन यदि हम माँ सरस्वती की सच्चे मन से पूजा करें, तो हमें ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: रविवार, 2 फरवरी 2025
- तिथि प्रारंभ: 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे
- तिथि समाप्त: 3 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 बजे
बसंत पंचमी के दिन सुबह 10-11 बजे तक पूजा करें।
मंत्र
सरस्वती का बीज मंत्र ‘क्लीं’ है। ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः। सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।
बसंत पंचमी पूजा सामग्री
बसंत पंचमी की पूजा के लिए आवश्यक पूजा सामग्री निम्नलिखित है:
- माँ सरस्वती की मूर्ति/चित्र
- चावल
- हल्दी
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बना)
- कलश (तांबे या पीतल का)
- गंगाजल
- सुपारी
- सिक्का
- इलायची और लौंग
- पंचपल्लव (पाँच आम के पत्ते)
- नारियल (पीले कपड़े और मौली से लपेटा हुआ)
- पीला कपड़ा/चुनरी
- दीपक (देशी घी के साथ)
- चंदन (तिलक और स्वस्तिक बनाने के लिए)
- सफेद फूल (माँ सरस्वती के लिए)
- लाल फूल (गणेश जी के लिए)
- सरसों के फूल (यदि उपलब्ध हो)
- पान का पत्ता
- मिठाई (जैसे पेड़ा, बसंती चावल, आदि)
- फल
- पेन और पेंसिल
- किताबें
- कपूर (आरती के लिए)
- धूपबत्ती
- घंटी
- मौली
- दक्षिणा (दान के लिए)
पूजा की विधि
आइए जानते हैं बसंत पंचमी पूजा की विधि, इस दिन सुबह स्नान करने के बाद, हम पूजा की जगह को साफ करेंगे और वहाँ एक अग्नि प्रज्वलित करेंगे।
सरस्वती माता की स्थापना
हल्दी का एक स्वास्तिक चिन्ह बनाकर उसे पूजा स्थल पर रखेंगे। उसके ऊपर किसी पतले पटरे, अध्ययन टेबल या आसन को रखेंगे।
चावल को स्थापित करने के बाद, किसी भी रूप, फोटो या माँ सरस्वती की मूर्ति को चावल के ऊपर रखा जाएगा। इसके बाद कुछ चावल एक चटाई की तरह बिछाएंगे और कुछ चावल सामने रखेंगे।
जिस जगह चावल को चटाई की तरह बिछाया है, वहाँ अपनी किताबें रखेंगे। आप अपनी पाठ्यक्रम की किताबें या कोई धार्मिक पुस्तक रख सकते हैं, जो आपको पसंद हो। किताबें माँ सरस्वती का रूप मानी जाती हैं, इसलिए हमें किताबों की पूजा करनी चाहिए।
गणेश जी की स्थापना
साथ ही, गणेश जी को भी स्थापित करेंगे, क्योंकि हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है। इसके बाद, पूजा प्रारंभ करने से पहले, हम पवित्रीकरण करेंगे।
सबसे पहले, अपने सिर पर पानी डालकर स्नान करेंगे। फिर पंचामृत का उपयोग करेंगे। पंचामृत तैयार करके, उसे माथे पर लगाएंगे और पुनः पानी डालेंगे। यदि आपके पास मूर्ति है, तो पंचामृत और पानी से विधिवत स्नान कराएंगे।
उसके बाद, सरस्वती जी के दाहिनी ओर कलश रखेंगे। इस कलश में पानी भरेंगे, थोड़ा गंगाजल मिलाएँगे और उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, सिक्का, इलायची, और लौंग डालेंगे।
कलश को पंचपल्लव (पाँच आम के पत्ते) से सजाएँगे। उसके ऊपर चावल से भरा एक ढक्कन और नारियल रखेंगे। नारियल को पीले कपड़े में लपेटकर, मौली से बाँधेंगे। इसके बाद, नारियल को कलश पर स्थापित करेंगे।
अब पूजा आरंभ करेंगे। सबसे पहले दीप जलाएँगे। दीप को देशी घी से जलाएँ और एक स्वस्तिक बनाकर, उसे पूजा स्थल पर रखें। इसके बाद, गणेश जी और माँ सरस्वती को वस्त्र अर्पित करेंगे।
गणेश जी को पीले वस्त्र और माँ सरस्वती को सफेद फूल अर्पित करें, क्योंकि सफेद फूल माँ सरस्वती को प्रिय हैं। यदि सरसों के फूल मिलें, तो उन्हें भी अर्पित करें।
पूजा में पान का पत्ता, मिठाई, और बसंती चावल (पीले मीठे चावल) का भोग लगाएँ। इसके साथ, वाद्य यंत्र, किताबें, और लेखन सामग्री (पेन, पेंसिल) की भी पूजा करें।
अंत में आरती करें। आप कपूर या घी के दीप से आरती कर सकते हैं। आरती के बाद, माँ सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्रार्थना करें। पूजा समाप्त करने के लिए, जल से चौकी को अभिषेक करें।
पूजा के बाद, प्रसाद को सभी में बाँटें और दक्षिणा किसी कन्या को अर्पित करें। इस प्रकार, माँ सरस्वती की पूजा संपन्न होगी।
सार
इस प्रकार, इस दिन की गई भक्ति और पूजा व्यक्ति और बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है। पूजा में बच्चों को अवश्य शामिल करें, ताकि वे माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और सनातन धर्म के महत्व को समझ सकें। बच्चों को माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे अपने जीवन में लक्ष्य प्राप्त करते है।
इस विधि से माँ सरस्वती की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सफल बनाएं।
माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर बना रहे।