बसंत पंचमी हिंदू धर्म में विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित एक प्रमुख त्योहार है। बसंत पंचमी कथा का भी इस दिन अत्यधिक महत्व है।
यह त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने और पीले फूल चढ़ाने की परंपरा है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है।
विद्या और ज्ञान के आरंभ के लिए इसे शुभ माना जाता है।
स्कूल और कॉलेज में सरस्वती पूजा होती है, और छात्र देवी से बुद्धि और समझ का आशीर्वाद मांगते हैं।
बसंत ऋतु के आगमन का यह महोत्सव प्रकृति की सुंदरता और समृद्धि का भी प्रतीक है।
मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन लक्ष्मी जी का भी जन्म हुआ था इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहते हैं
ब्राह्मण शास्त्र के अनुसार मां सरस्वती कामधेनु,और सभी देवताओं की प्रतिनिधि है।
इस दिन मां सरस्वती का आवाहन कर कलश स्थापना किया जाता है और की जाती है उनकी पूजा जिसमें बसंत पंचमी कथा भी पढ़ते हैं।

बसंत पंचमी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,जब ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा जी ने जीवों और मनुष्यों की रचना की और जब उन्होंने सृजित सृष्टि को देखा, तब उन्होंने महसूस किया कि यह निस्तेज है।
वातावरण बहुत शांत था तथा उनमें कोई आवाज या बड़ी नहीं थी।
उसे समय भगवान विष्णु के आदेश पर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छीटा ।
पृथ्वी पर गिरे जल ने धरती को कम्पित कर दिया।
तथा एक चतुर्भुज, सुंदर स्त्री एक अद्भुत शक्ति के रूप में प्रकट हुई।
उस देवी के एक हाथ में वीणा दूसरे हाथ में मुद्रा तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथे हाथ में माला थी।
भगवान ने देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया।
जैसे ही वीणा से धुन निकली उसे धुन के कारण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों और मनुष्यों को वाणी प्राप्त हुई।
उसे क्षण के बाद इस देवी को मां सरस्वती कहा गया।
देवी सरस्वती ने वाणी सहित सभी आत्माओं को ज्ञान और बुद्धि प्रदान की।
ऐसा माना जाता है कि इस पंचमी को सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है।
क्योकि यह घटना माघ महीने की पंचमी को हुई थी।
इस देवी के वागेश्वरी,भगवती, शारदा,वीणा वादिनी और वाग्देवी जैसे अनेक नाम है।
संगीत की उत्पत्ति के कारण इन्हें संगीत की देवी के रूप में भी पूजा जाता है।
शास्त्रों में मां सरस्वती की पूजा व्यक्तिगत रूप से करने का वर्णन है।
परंतु वर्तमान में सार्वजनिक पूजा भी करी जाती है।
क्योंकि यह ज्ञान का त्यौहार है इसलिए छात्र शिक्षक स्थान को सजाते हैं।
विद्यारंभ संस्कार के लिए यह सबसे अच्छा दिन माना जाता है।
बसंत पंचमी का दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए बहुत शुभ माना गया है।
पुराणों में बसंत पंचमी को नई शिक्षा और गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
।। बसंत पंचमी कथा समाप्त ।।
।। जय मां सरस्वती।।
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