जाएगी वसंत पंचमी | जानें सरस्वती पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
हमारे हिंदू धर्म में हर त्यौहार की तरह बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का भी विशेष महत्व है।शास्त्रों के अनुसार आज के दिन ही विद्या की देवी माता सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाता है।देवी सरस्वती की पूजा आराधना करने का सबसे प्रमुख दिन वसंत पंचमी माना जाता है।
बसंत पंचमी कब मनाया जाता है? | Vasant Panchami Kab Manaya Jaata Hai | When To Celebrate Vasant Panchami?
बसंत पंचमी का पर्व, माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार आज के दिन विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करने से देवी की असीम कृपा अपने भक्तों पर बरसती है। कला तथा संगीत जगत के प्रेमी भी आज के दिन को बहुत अच्छी तरह मानते हैं तथा माँ की पूजा आराधना में आज का दिन व्यतीत करते हैं। आज के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। वसंत ऋतु में चारों तरफ पीले तथा नए पत्ते लिए हुए पेड़-पौधे दिखाई देने लगते हैं। यह पर्व ऋतु पूजन के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) डेट | Vasant Panchami (Saraswati Puja) Date | When is Vasant Panchami (Saraswati Puja)?
14 फरवरी को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:01 मिनट से लेकर दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा।ऐसे में इस दिन पूजा के लिए आपके पास करीब 5 घंटे 35 मिनट तक का समय है।
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बसंत पंचमी का महत्व और कथा | Vasant Panchami Ka Mahatva Aur Katha | Importance of Vasant Panchami And Katha
जब ब्रह्मांड रोशनी विहीन तथा कोलाहल विहीन था, उसी समय ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकालकर धरती पर छिड़का उससे धरती से एक सुंदर युवती का जन्म हुआ जिसके प्रकट होने से प्रकृति में सरसराहट की ध्वनि होने लगी तथा तेज़ हवाएं चलने लगी। मधुर वाद्य तथा संगीतों से वातावरण कोलाहलपूर्ण हो गया और इसी प्रकार माता सरस्वती का जन्म हुआ।
बसंत पंचमी पूजा विधि | Vasant Panchami Puja Vidhi
(i).सर्वप्रथम माता सरस्वती की वर मुद्रा वाली फोटो या मूर्ति ले लें।
(ii).जहां पर पूजन करना हो, माता सरस्वती की मूर्ति को लकड़ी के पाटे पर सुंदर पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित कर दें।
(iii). इसके बाद गौरी- गणेश जी का स्मरण करते हुए पूजा प्रारंभ करना है तथा देवी सरस्वती की मूर्ति को जल से स्नान कराना है।यदि फोटो है तो मन में स्नान का भाव करते हुए थोड़े-थोड़े जल का छिड़काव करें।
(iv). इसके बाद देवी सरस्वती को पीले पुष्पों का हार पहना दें, घी का दीपक जलाएं, उन्हें सुगंधित इत्र लगाएं और अगरबत्ती और धूपबत्ती पूजा स्थान पर प्रज्वलित करें।
(v). यदि व्यवस्था हो तो देवी सरस्वती को पीले तथा सफेद रंग के वस्त्र अवश्य चढ़ाएं।
(vi). इसके बाद उन्हें भोग लगाएं। भोग में पीले चावल अर्थात केसर और घी मिलाकर चावल तैयार करें और इससे माँ सरस्वती को भोग लगाएं।
(vii). इसके बाद सरस्वती चालीसा का पाठ करें
(viii). पूजा के पश्चात निचे दिए गए देवी सरस्वती के बीज मंत्र का अधिक से अधिक संख्या में जाप करते रहें।
“ ऐं ”
(ix). पूजा-पाठ के पश्चात आप देवी सरस्वती की विधि-विधान से आरती करें।
(x). इसके बाद प्रसाद उपस्थित लोगों में या परिवार के लोगों में बाट कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। इससे देवी सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चों की वाणी में किसी भी तरह का दोष या हकलाहट है तो उसे सरस्वती पूजा यानी वसंत पंचमी वाले दिन केसर को घोल कर उसकी जीभ पर “ऐं” मंत्र को लिख दें।यदि 10 साल से ऊपर का बच्चा है तो यह प्रयोग ना करें।
यदि 10 साल से ऊपर का बच्चा है तो उसके माथे पर गीले किए हुए केसर का तिलक लगाएं।इससे बच्चे का विवेक सही तरीके से काम करेगा तथा शिक्षा में उसका मन लगेगा।
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कला वर्ग से जुड़े हुए लोगों के लिए देवी सरस्वती की आराधना विशेष फलदाई होती है। वहीं से विद्यार्थियों के लिए देवी सरस्वती की आराधना किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए इन्हें आज के दिन सरस्वती चालीसा का 11 पाठ अवश्य करना चाहिए तथा आज से प्रारंभ कर हर दिन कम से कम एक माला देवी सरस्वती के बीज मंत्र “ऐं” का जप ज़रूर करना चाहिए। इससे शिक्षा तथा कला के क्षेत्र में आने वाली रुकावटें दूर होती है और देवी सरस्वती की कृपा से व्यक्ति अपने कार्य में पारंगत हो जाता है।
वाद्य यंत्रों की पूजा | How To Worship Musical Instruments
आज के दिन वाद्य यंत्रों को साफ-सुथरा करके सूखे कपड़े से पोंछ कर माता सरस्वती की पूजा में अवश्य रखें।ऐसा करने से माता सरस्वती की कृपा मिलती है तथा माता की कृपा से व्यवसाय या रोजगार बहुत उत्तम चलता है।
विद्यार्थियों के लिए कलम–कॉपी की पूजा | Puja of Pen and Copy For Students
विद्यार्थियों को आज माता सरस्वती की पूजा के लिए नई कॉपियाँ तथा कुछ पेन ले आना चाहिए जिसे माता सरस्वती की पूजा में रखें। साथ ही आजके दिन नई कॉपी पर नए ख़रीदे हुए कलम से कुछ अवश्य लिखें।ऐसा करने से शिक्षा में आ रही भाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति करता जाता है।
यदि बच्चा छोटा है तो माता-पिता भी कॉपी-किताब और कलम का पूजन कर सकते हैं और बाद में उसे बच्चे को पढ़ने या लिखने के लिए दे सकते हैं।इससे माता सरस्वती की कृपा बच्चों के ऊपर सदैव बनी रहती है।
धन्यवाद
*Red Color In The Article Denotes Important Points.