अक्षय तृतीया जिसे ‘अखियां तृतीया’ के नाम से भी जाना जाता है, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
सूर्य और चंद्रमा दोनों के उच्च होने के कारण यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
इस दिन किए गए पुण्य कर्म, दान, पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों का फल अक्षय (कभी न समाप्त होने वाला) होता है।
यही कारण है कि हिंदू और जैन दोनों ही धर्मों में इस दिन का बहुत महत्व है।
इस दिन को खास तौर पर सोना खरीदना, विवाह, जप-तप, व्रत-उपवास, तीर्थ-यात्रा और दान जैसे कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
लेकिन साथ ही इस दिन कुछ कामों को करने से बचना भी जरूरी है, ताकि शुभता बनी रहे और कोई बाधा न आए।
अक्षय तृतीया का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
अक्षय तृतीया एक अशुभ मुहूर्त है, यानी इस दिन पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
इस तिथि को त्रेता युग का आरंभ माना जाता है और इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म भी हुआ था।
साथ ही इसी दिन भगवान बद्रीनाथ के कपाट भी खुलते हैं।
ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृष राशि में होता है, जो बहुत ही शुभ योग बनाता है।
इस योग में किए गए कार्यों का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
यही कारण है कि लोग इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आरंभ करना, सोना खरीदना, भूमि पूजन आदि करते हैं।
यह दिन अक्षय पुण्य और धन-समृद्धि देने वाला माना जाता है।

इस दिन पूजा-पाठ और जप का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया पर पूजा-पाठ और जप करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और परशुराम जी की पूजा करें।
तुलसी के पत्ते, पीले फूल, घी का दीपक, चंदन, धूप, पंचामृत और मिठाई चढ़ाएं।
विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
गंगा में स्नान करना विशेष पुण्यदायी होता है।
अगर गंगा न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
संकल्प लेकर कोई भी तप या मंत्र आरंभ करना बहुत शुभ होता है।
यह दिन विशेष रूप से संतान सुख, धन-संपत्ति या ग्रह शांति के लिए अनुकूल माना जाता है।
सोना, चांदी या अन्य संपत्ति खरीदना
अक्षय तृतीया पर सोना, चांदी या कीमती धातु खरीदना शुभ माना जाता है।
इसे अक्षय लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन खरीदी गई वस्तु जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाती है।
खास तौर पर महिलाएं आभूषण, बर्तन या सिक्के खरीदती हैं।
आजकल लोग इस दिन शेयर, रियल एस्टेट या अन्य निवेश भी करते हैं।
व्यापारिक दृष्टि से यह दिन नए निवेश, व्यापार शुरू करने या दुकान खोलने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
साथ ही जमीन, वाहन, कृषि उपकरण या तकनीकी वस्तुओं की खरीदारी भी की जा सकती है।
मान्यता है कि इस दिन जो भी खरीदा जाता है, वह बढ़ता है और कभी कम नहीं होता।

इस दिन किए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ दान और पुण्य
अक्षय तृतीया पर दान करना सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना जाता है।
इस दिन जल से भरा घड़ा, शरबत, छाता, चप्पल, वस्त्र, भोजन, गाय, सोना, अनाज, नमक, गुड़, घी, सत्तू, बेलपत्र, चंदन, पंखा आदि दान करना चाहिए।
ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना विशेष पुण्यदायी होता है।
दान करते समय ध्यान रखें कि दान सच्ची भावना से और सुपात्र को दिया जाए।
साथ ही स्नान के बाद तिल, गाय का घी और हवन सामग्री से हवन करना भी श्रेष्ठ होता है।
यह दिन गरीबों, बुजुर्गों और जरूरतमंदों की मदद करने का बेहतरीन अवसर है।
अपनी क्षमता के अनुसार अन्नक्षेत्र, गौशाला या जलसेवा में योगदान देना भी बहुत फलदायी माना जाता है।
विवाह, गृहप्रवेश और नए कार्य की शुरुआत
अक्षय तृतीया को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह किया जा सकता है।
कई जगहों पर सामूहिक विवाह भी होते हैं।
गृह प्रवेश, दुकान का उद्घाटन, भूमि पूजन, वाहन क्रय, नई योजना या व्यापार आरंभ जैसे कार्यों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
नए लेखन कार्य, कला, संगीत या शिक्षा के क्षेत्र में भी नए कदम उठाए जा सकते हैं।
यदि कोई नया कार्य लंबे समय से टल रहा है तो उसे आरंभ करने के लिए अक्षय तृतीया शुभ अवसर है।
इस दिन आरंभ करने से भविष्य में स्थिरता और समृद्धि आती है।
व्रत और संयम का पुण्य
अक्षय तृतीया का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
खास तौर पर धन, सुख, संतान और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने वालों को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।
व्रती को पूरे दिन सात्विक भोजन या केवल फलाहार करना चाहिए।
सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन व्रत रखते हुए पूजा-पाठ करें।
झूठ न बोलें, बहस न करें, धोखा न दें या किसी भी तरह का अपवित्र आचरण न करें।
शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद बांटें। रात में फल या जलपान करें और व्रत समाप्त करें।
अगर कोई पूरा व्रत न रख सके तो हल्का व्रत और पूजा करके भी इस दिन का पुण्य कमा सकता है।

अक्षय तृतीया पर क्या नहीं करना चाहिए
इस पवित्र तिथि पर कुछ काम वर्जित माने गए हैं: मांस, मदिरा, अंडा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
किसी का अपमान करना, अपशब्द कहना या कटु वचन बोलना अशुभ होता है। विवाद, क्रोध और झूठ जैसी बुराइयों से दूर रहें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और अत्यधिक भोग विलास से बचें।
मांसाहार न करें, देर से न सोएं और अशुद्ध वस्त्र न पहनें।
बिना श्रद्धा या नियम के कोई पूजा-पाठ न करें।
इन बातों का ध्यान रखने से ही इस दिन के पुण्य का पूरा लाभ मिल सकता है।
यह दिन सिर्फ खरीदारी और जश्न मनाने का नहीं बल्कि संयम और ध्यान का दिन है।
बच्चों और परिवार के साथ पूजा का महत्व
अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन पर पूरे परिवार को एक साथ पूजा-पाठ में शामिल होना चाहिए।
बच्चों को इस दिन की पौराणिक मान्यताओं और महत्व से अवगत कराएं।
साथ ही, उन्हें बचपन से ही दान, व्रत, पूजा-पाठ और सेवा जैसे कार्यों की आदत डालनी चाहिए।
यह दिन पारिवारिक एकता, संस्कार और धार्मिक शिक्षा का अवसर है।
घर में एक साथ भजन, कीर्तन या भगवान की कथा सुनना बहुत शुभ होता है।
महिलाओं को विशेष रूप से लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और घर की समृद्धि के लिए दीप जलाना चाहिए।
यदि परिवार के सभी सदस्य इस दिन के अनुष्ठानों को श्रद्धापूर्वक करें तो घर में सुख-शांति और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
जल सेवा और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प
अक्षय तृतीया पर जल सेवा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यों को विशेष पुण्य माना जाता है।
इस दिन पीने के पानी का स्टॉल लगाना, राहगीरों को ठंडा पानी बांटना, कुएं या तालाब की सफाई करना, पेड़-पौधे लगाना जैसे कार्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
गायों, पक्षियों और अन्य जीवों को पानी पिलाना, उनके लिए छायादार स्थान बनाना बहुत पुण्य का काम है।
साथ ही पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लें, जैसे प्लास्टिक का उपयोग न करना, पानी की बर्बादी रोकना और पौधों की देखभाल करना।
ये कार्य न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रकृति की सेवा करना भगवान विष्णु की कृपा पाने का सबसे अच्छा तरीका है।
उपसंहार
अक्षय तृतीया एक ऐसा पवित्र पर्व है, जब हर शुभ कार्य का फल अक्षय होता है।
इस दिन पूजा-पाठ, दान, व्रत, सेवा और खरीदारी जैसे कार्य धर्म और समृद्धि दोनों प्रदान करते हैं।
साथ ही, कुछ नियमों और प्रतिबंधों का पालन करके भी इस शुभ तिथि का पूरा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
यह दिन केवल बाहरी आयोजनों के लिए ही नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी अवसर है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से यह दिन जीवन में स्थायी सुख, सफलता और शांति लाता है।
यदि हम इस दिन को भक्ति, संयम और अच्छे कर्मों के साथ बिताएं, तो निश्चित रूप से हमारा जीवन ‘अक्षय’ खुशियों से भर सकता है।
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