हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के व्रत, साधना और उपवास अत्यंत शुभ माने जाते है।
यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु, शिव और गुरु की पूजा के लिए समर्पित है।
आषाढ़ के त्यौहार व व्रत जीवन में पवित्रता, संयम और आध्यात्मिकता का समावेश करते हैं।
वर्ष 2025 में आषाढ़ मास 12 जून से प्रारंभ होकर 10 जुलाई को समाप्त होगा। आइए जानते हैं इस माह के प्रमुख व्रत और त्योहार कौन-कौन से हैं।
आषाढ़ मास में इन उपायों से मिलेगा शुभ फल
आषाढ़ माह में शुभ फल पाने के लिए कुछ विशेष उपाय करने चाहिए।
इस महीने में प्रतिदिन सुबह स्नान करके विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तुति का पाठ करें।
तुलसी के पत्ते चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
प्रत्येक एकादशी और अमावस्या को व्रत रखें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
शनिवार की अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा और तेल का दान करना विशेष फलदायी होता है।
आषाढ़ माह के व्रतों में सात्विक आहार, संयम और सत्य का पालन करें।
गरीबों को भोजन, जल या वस्त्र दान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
आषाढ़ मास के प्रमुख व्रत और त्योहार (तिथि सहित)
तिथि | व्रत/त्यौहार |
14 जून 2025, शनिवार | गणेश चतुर्थी व्रत |
21 जून 2025, शनिवार | योगिनी एकादशी व्रत |
23 जून 2025, सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
25 जून 2025, बुधवार | आषाढ़ी अमावस्या |
26 जून 2025, गुरुवार | गुप्त नवरात्र आरंभ |
27 जून 2025, शुक्रवार | श्री जगन्नाथ रथ यात्रा |
28 जून 2025, शनिवार | विनायक चतुर्थी व्रत |
4 जुलाई 2025, शुक्रवार | गुप्त नवरात्रि नवमी |
6 जुलाई 2025, रविवार | देवशयनी एकादशी |
8 जुलाई 2025, मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत |
10 जुलाई 2025, गुरुवार | गुरु पूर्णिमा, व्रत की पूर्णिमा |
निष्कर्ष
आषाढ़ के त्यौहार व व्रत धार्मिक ऊर्जा से भरपूर होते हैं और जीवन में शुभ फल प्रदान करते हैं।
ये व्रत नकारात्मकता को दूर करते हैं और मन को शांति प्रदान करते हैं।
योगिनी एकादशी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा जैसे आषाढ़ के व्रत साधकों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
यदि कोई व्यक्ति इनका श्रद्धापूर्वक पालन करता है तो यह महीना उसके जीवन में धर्म, भक्ति और मोक्ष की ओर एक मजबूत कदम होता है।
इसलिए आषाढ़ के त्यौहार व व्रत अवश्य रखें और अपने जीवन को पवित्रता की ओर ले जाएं।
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