हिंदू धर्म में भगवान शिव को सृष्टि का संहारक और कल्याणकारी देवता माना जाता है। मासिक शिवरात्रि हर महीने आने वाला वो शुभ दिन है, जब भक्त शिव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाते हैं।
यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व किसी बड़े त्योहार से कम नहीं है।
जून 2025 की मासिक शिवरात्रि 23 जून, सोमवार को मनाई जाएगी, जो आषाढ़ मास की कृष्ण चतुर्दशी को है।
आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, पूजा और व्रत की विधि, नियम और लाभ।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि वह रात्रि होती है, जब पृथ्वी पर शिव तत्व अधिक सक्रिय होता है।
यह दिन आत्मचिंतन, ध्यान और ईश्वर भक्ति के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और रात्रि में शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
शिवपुराण के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर की बाधाएं दूर होती हैं, मन को शांति मिलती है और जीवन में संतुलन आता है।
यह व्रत उन भक्तों के लिए विशेष लाभकारी है जो मानसिक तनाव, वैवाहिक समस्याओं या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

व्रत और पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है।
भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और सात्विकता का पालन करते हैं।
शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन और फल चढ़ाए जाते हैं।
पूजा के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।
रात में चार प्रहर की पूजा की जाती है और हर प्रहर में अलग-अलग सामग्री चढ़ाई जाती है।
रात्रि जागरण कर शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
व्रत के नियम
मासिक शिवरात्रि व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
व्रती को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए।
घर की साफ-सफाई, मंदिर की पवित्रता और पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
इस दिन तामसिक भोजन, प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है।
वाणी में मधुरता बनाए रखते हुए किसी की निंदा या अपमान नहीं करना चाहिए।
व्रत के दौरान फल, दूध या केवल जल का सेवन किया जा सकता है।
रात्रि में पूजा के बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलकर व्रत का समापन किया जाता है।
भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं और उनका महत्व
शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली हर वस्तु का अपना महत्व होता है।
जल भगवान शिव को शांत करता है, दूध सौम्यता का प्रतीक है, शहद मधुरता और प्रेम का प्रतीक है, जबकि बेलपत्र शिव की सबसे प्रिय वस्तु मानी जाती है।
धतूरा, भांग और आक के फूल शिव के उग्र रूप को प्रसन्न करते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने से साधक में विशेष ऊर्जा का संचार होता है। सफेद चंदन और भस्म शिव के भौतिक रूप से जुड़े हैं।
इन सभी सामग्रियों का उपयोग सावधानी और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए।
इन्हे विशेष रूप से यह व्रत रखना चाहिए
मासिक शिवरात्रि व्रत सभी के लिए लाभकारी है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।
जैसे, जिनके वैवाहिक जीवन में कलह हो, संतान प्राप्ति में समस्या हो, जिनकी कुंडली में शनि, राहु-केतु या कालसर्प दोष हो, उन्हें इस व्रत का लाभ उठाना चाहिए।
इसके अलावा विद्यार्थी, नौकरीपेशा, व्यापारी और मानसिक तनाव से ग्रस्त लोग भी मासिक शिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन अवश्य किए जाने वाले उपाय
इस दिन शिवलिंग पर काले तिल मिलाकर जल चढ़ाने से पापों का नाश होता है।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें और रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
रात्रि में दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें।
काले वस्त्र और लोहे की वस्तुओं का दान करने से ग्रह दोषों से शांति मिलती है।
संभव हो तो गरीबों को अन्न, जल या वस्त्र दान करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोगों से रक्षा होती है और जीवन में दीर्घायु बढ़ती है।
जून 2025 मासिक शिवरात्रि तिथि और शुभ मुहूर्त
जून मासिक शिवरात्रि 23 जून 2025 सोमवार को मनाई जाएगी।
यह तिथि आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ रही है।
निशिता काल – जिसे शिव पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है – इस दिन 12:03 AM से 12:44 AM तक रहेगा।
इस मुहूर्त में रात्रि पूजन करें, क्योंकि इस समय शिव तत्व अधिक प्रभावी होता है।
तिथि: सोमवार, 23 जून 2025
शुभ मुहूर्त (निशिता काल): 12:03 AM से 12:44 AM

पूजा में सावधानियां
शिव की पूजा करते समय तुलसी के पत्तों का उपयोग नहीं करना चाहिए, यह वर्जित है।
शिवलिंग पर हल्दी भी नहीं चढ़ाई जाती है। पूजा करते समय तीन पत्तों वाले बेलपत्र का उपयोग करें और उस पर ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर चढ़ाएं।
जल चढ़ाते समय जल की धारा निरंतर गिरनी चाहिए।
शिवलिंग पर नारियल नहीं फोड़ा जाता, बल्कि प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
पूजा के दौरान शांत मन और पूर्ण आस्था होना सबसे जरूरी है।
FAQs
- क्या मासिक शिवरात्रि का व्रत केवल महिलाएं ही रख सकती हैं?
नहीं, मासिक शिवरात्रि का व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं है।
यह व्रत पुरुष, महिला, अविवाहित लड़के-लड़कियां, जोड़े या कोई भी व्यक्ति जो शिव की पूजा करता है, रख सकता है।
- क्या मासिक शिवरात्रि व्रत में केवल फल खाए जा सकते हैं या भोजन भी खाया जा सकता है?
व्रती की आस्था और स्वास्थ्य के अनुसार फल और भोजन दोनों खाए जा सकते हैं।
परंपरागत रूप से व्रत में फल, दूध और साबूदाना आदि लिया जाता है, लेकिन कुछ लोग दिन में एक बार सात्विक भोजन भी करते हैं।
- क्या मासिक शिवरात्रि की रात को सोना वर्जित है?
हां, ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि की रात को जागना चाहिए।
यह रात “शिव तत्व” से भरी होती है, इसलिए भजन, मंत्र जाप, शिव चालीसा आदि करते हुए रात में जागना शुभ माना जाता है।
- क्या मासिक शिवरात्रि पर व्रत न रखकर सिर्फ पूजा करने से कोई लाभ होता है?
उत्तर: हाँ, अगर किसी कारण से व्रत नहीं रखा जा सके तो सिर्फ शिव पूजा, अभिषेक और मंत्र जाप करने से भी पुण्य मिलता है।
भगवान शिव भाव के भूखे हैं, वे नियमों से ज्यादा भक्ति को महत्व देते हैं।
- क्या मासिक शिवरात्रि व्रत के लिए कोई वैदिक मंत्र विशेष रूप से उपयोगी है?
उत्तर: हाँ, मासिक शिवरात्रि के लिए “ॐ नमः शिवाय” और “महामृत्युंजय मंत्र” विशेष रूप से प्रभावी माने जाते हैं।
इनके अलावा शिव पूजा से संबंधित रुद्र सूक्त और वैदिक मंत्र भी लाभकारी होते हैं।
- क्या गर्भवती महिलाएं मासिक शिवरात्रि व्रत रख सकती हैं?
उत्तर: अगर स्वास्थ्य अनुमति देता है, तो गर्भवती महिलाएं भी यह व्रत रख सकती हैं, लेकिन व्रत को कठोर न रखें।
फलाहार और आरामदायक दिनचर्या के साथ शिव भक्ति करें। पहले डॉक्टर से सलाह लें।