वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत है, जो पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
यह व्रत सावित्री के समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जिन्होंने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे।
वट सावित्री व्रत नियम
- व्रत का संकल्प और तैयारी
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें और साफ लाल या पीले कपड़े पहनें।
व्रत के लिए संकल्प लें: “मैं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत रख रही हूं।”
- पूजा विधि
वट वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं, हल्दी, कुमकुम, फूल, चावल आदि से पूजा करें।
कच्चे धागे या कलावा से वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें।
सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
पढ़िए: वट सावित्री में सत्यवान और सावित्री की कथा
जानिए विस्तार से सम्पूर्ण पूजन विधि

- व्रत का पालन
निर्जल या फलाहार व्रत रखें।
सात्विक भोजन जैसे फल, मेवा, साबूदाना आदि खाएं।
तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज, लहसुन आदि से परहेज करें।
- व्रत तोड़ें
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ें।
सास को भीगे हुए चने, पैसे और कपड़े दें और उनका आशीर्वाद लें।
वट सावित्री व्रत के समापन के लिए, पूजा के बाद 12 भीगे हुए चने खाकर और बरगद के पत्तों को पानी के साथ निगलकर व्रत तोड़ा जाता है।
कुछ लोग इस समय बरगद के पेड़ की जड़ को भी जल के साथ खाते हैं।
व्रत के दौरान ये गलतियां न करें
- अनुचित कपड़े पहनना
काले, नीले या सफेद कपड़े पहनने से बचें।
लाल या पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- तामसिक भोजन से बचें
मांस, अंडा, प्याज-लहसुन का सेवन वर्जित है।
बाहर का जंक फूड या प्रोसेस्ड चीजें न खाएं।
- वाणी और विचारों की अशुद्धता
झूठ बोलना, गाली देना या किसी से बहस करना व्रत के प्रभाव को कम करता है।
मन और वाणी की पवित्रता बनाए रखें।
- बरगद के पेड़ को नुकसान न पहुँचाएँ
बरगद के पेड़ की शाखाओं को न तोड़ें, न ही उस पर भार डालें।
पूजा करते समय पेड़ को श्रद्धापूर्वक स्पर्श करें।
- पूजन सामग्री के साथ लापरवाही न बरतें
कलावा, हल्दी, फल, चना, पंखा, श्रृंगार सामग्री जैसी सभी आवश्यक सामग्री पहले से तैयार रखें।
अधूरी सामग्री से पूजा अधूरी मानी जाती है।
व्रत की तिथि
हर साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है।
इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 26 मई को दिन में 12:11 बजे शुरू हो रही है।
इसका समापन 27 मई को सुबह 8:31 बजे होगा।
ऐसे में वट सावित्री का पर्व 26 मई 2025 को मनाया जाएगा।
विशेष सुझाव
सोलह श्रृंगार करके पूजा करें और वट वृक्ष की परिक्रमा करें।
परिक्रमा हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में करें।
सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और सुहाग का सामान चढ़ाएं।
यदि आप मासिक धर्म के दौरान व्रत कर रही हैं, तो पूजा को स्पर्श न करें, सिर्फ कथा सुनें।

FAQs
- वट सावित्री व्रत किस दिन किया जाता है?
यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को किया जाता है।
- वट सावित्री व्रत कौन करता है?
मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं।
- क्या अविवाहित लड़कियां भी यह व्रत कर सकती हैं?
हां, अगर वे भविष्य में सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं तो वे यह व्रत कर सकती हैं।
- क्या मासिक धर्म के दौरान यह व्रत किया जा सकता है?
व्रत किया जा सकता है, लेकिन पूजा और स्पर्श से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
- क्या व्रत के दिन कुछ भी खाया जा सकता है?
निर्जल व्रत किया जाता है, लेकिन अगर कोई चाहे तो फल खा सकता है।
- व्रत के दौरान कौन सी कथा पढ़ी जाती है?
सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
- व्रत कब और कैसे खोलें?
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें और सुहाग सामग्री दान करें।
- क्या घर पर वटवृक्ष की पूजा की जा सकती है?
अगर आस-पास कोई वटवृक्ष न हो तो घर पर ही चित्र या मूर्ति के रूप में इसकी पूजा की जा सकती है।
- व्रत के दिन किस रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
लाल, पीला या गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है।