हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को आषाढ़ी अमावस्या कहते हैं और ये आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस दिन किए गए तर्पण, दान और पूजा-पाठ से विशेष फल मिलता है, खासकर पितृ दोष, कालसर्प दोष, सूर्य-चंद्र दोष आदि के निवारण के लिए यह दिन सबसे उत्तम माना जाता है।
यह आषाढ़ी अमावस्या एक ऐसा अवसर है जब हम अपने पूर्वजों को याद कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति पाने के उपाय भी कर सकते हैं।
आषाढ़ी अमावस्या का महत्व
आषाढ़ी अमावस्या का संबंध पितरों की कृपा, जीवन की पवित्रता और मानसिक शांति से है।
यह दिन पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दीपदान और धार्मिक उपायों के लिए आदर्श है।
आषाढ़ी अमावस्या तिथि न केवल पितृ दोष को शांत करने में सहायक है, बल्कि घर में समृद्धि लाने वाली भी मानी जाती है।
यह दिन उन लोगों के लिए विशेष फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य या चंद्र दोष, कालसर्प योग या ग्रह बाधा है।
इस दिन किए गए सरल उपाय भी बहुत कारगर साबित होते हैं।
पूजन विधि और तर्पण प्रक्रिया
इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके कुशा या तिल से तर्पण करें।
तर्पण के समय ‘ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः‘ मंत्र का जाप करें।
घर पर पितरों की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं, पुष्प अर्पित करें और उनके नाम से भोजन बनाकर ब्राह्मण या गाय को खिलाएं।
पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा करें, उन्हें तुलसी के पत्ते, दूध और सफेद फूल चढ़ाएं।
सूर्य देव को अर्घ्य देना भी इस दिन का अनिवार्य हिस्सा है।

व्रत करने वालों के लिए नियम
इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
नमक, तामसिक भोजन, लहसुन और प्याज का सेवन न करें।
शांत रहें और जितना संभव हो उतना समय जप, ध्यान और स्मरण में बिताएं।
अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं, तो कम से कम एक बार फलाहार करें और व्रत की भावना मन में रखें।
दिनभर अधिक पानी पिएं और सूर्यास्त के बाद ही भोजन करें।
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इस दिन के विशेष उपाय
- पीपल पूजा
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात परिक्रमा करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- ईशान कोण में दीपक
घर के ईशान कोण में गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं। बत्ती के स्थान पर लाल धागा रखें, इससे लक्ष्मी की कृपा होती है।
- धन वृद्धि के लिए
आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। इससे धन संबंधी समस्या दूर होती है।
- संकट निवारण के लिए
तंदूरी रोटी पर घी लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं।
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए
पितरों के लिए तर्पण और पूजा करें।
- कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए
नागबलि या पंचबलि अनुष्ठान करें।
- चंद्र दोष से बचने के लिए
चंद्रदेव की पूजा करें और उन्हें दूध चढ़ाएं।
- सूर्य दोष से मुक्ति के लिए
सुबह जल में रोली और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए
व्रत रखें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दें।
आषाढ़ी अमावस्या 2025 तिथि और मुहूर्त
वर्ष 2025 में आषाढ़ अमावस्या 25 जून, बुधवार को पड़ेगी।
कुछ पंचांगों के अनुसार यह तिथि 24 जून को शाम 6:59 बजे से शुरू होकर 25 जून को शाम 4:00 बजे तक रहेगी।
यह अवधि पितृ तर्पण, तीर्थ स्नान, दान और विशेष उपायों के लिए श्रेष्ठ रहेगी।
इसका पूरा लाभ सुबह से शाम तक उठाया जा सकता है।
धार्मिक लाभ के लिए विशेष पूजा
इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है।
उन्हें पीले फूल, तुलसी के पत्ते और पंचामृत चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
व्रत के साथ-साथ नियमित रूप से यह पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और संतुष्टि मिलती है।
पूर्वजों का स्मरण एवं भावपूर्ण श्रद्धा
जो लोग अपने पूर्वजों के नाम पर जलदान, दीपदान, तर्पण या दान करते हैं, उन्हें पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह कार्य न केवल पितरों की आत्मा की शांति के लिए आवश्यक है, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली परेशानियां भी स्वतः ही दूर हो जाती हैं।
यह दिन पितरों को भावपूर्ण श्रद्धा के साथ याद करने और अपनी जीवनशैली में आध्यात्म को शामिल करने का एक बेहतरीन अवसर है।
निष्कर्ष
आषाढ़ी अमावस्या 2025 एक बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि है, जब पितृ पूजन, दोष निवारण और धन, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए सरल लेकिन प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं।
यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति का मार्ग भी प्रदान करता है।
इस दिन शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ किए गए छोटे-छोटे कार्य भी विशेष फलदायी होते हैं।