हिंदू पंचांग में पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। खासकर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा जिसे ‘ज्येष्ठ स्नान पूर्णिमा’ कहते हैं, गंगा स्नान, दान और पितृ कर्म के लिए बहुत पुण्यदायी मानी जाती है।
यह दिन गर्मी के चरम पर आता है, जब सूर्य की तपिश तेज होती है और शास्त्रों के अनुसार इस समय किया गया स्नान, तप और दान कई गुना अधिक फलदायी होता है।
श्रद्धालु इस दिन गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा कर पुण्य कमाते हैं।
ज्येष्ठ स्नान पूर्णिमा 2025 तिथि और नक्षत्र
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जून 2025 को प्रातः 11:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जून 2025 को दोपहर 1:13 बजे
इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र भी रहेगा, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
पूर्णिमा और ज्येष्ठा नक्षत्र का मिलन अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसे ‘पापनाशिनी पूर्णिमा’ भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन किए गए शुभ कार्य कई जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाते हैं।
यह दिन जलदान और पितृ कार्य के लिए आदर्श समय माना जाता है।

स्नान का महत्व और विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी या नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
अगर किसी को नदी में स्नान करने का अवसर न मिले, तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी मान्य है।
स्नान विधि:
ब्रह्म मुहूर्त में उठें
पानी में थोड़ा गंगाजल, तुलसी के पत्ते या केसर डालें।
‘ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु॥’
मंत्र का जाप करें
स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल पर दीपक जलाएं।
इस दिन स्नान करने से न केवल शरीर ठंडा होता है बल्कि मन भी शुद्ध होता है।
दान का महत्व और क्या दान करें
इस दिन का मुख्य उद्देश्य इस गर्मी के मौसम में जरूरतमंदों को राहत पहुंचाना है।
शास्त्रों में कहा गया है कि “दानं तपश्च यज्ञश्च स्नानं चैव विशेष। पूर्णायं कुर्वतो नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते।”
दान करने योग्य वस्तुएँ:
पानी से भरा मिट्टी या तांबे का घड़ा
छाता, चप्पल, जूते
खड़ाऊँ, पंखा (हाथ से बना या बिजली से चलने वाला)
सत्तू, गुड़, शर्बत, चीनी
वस्त्र और फल
गाय दान, भूमि दान या अन्न दान भी अच्छा माना जाता है
दान से पहले दक्षिणा के साथ भक्ति और विनम्रता आवश्यक है। इससे आत्मा को शांति और मन को संतुष्टि मिलती है।
व्रत का महत्व और विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत आत्मसंयम और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ माना जाता है।
इस दिन व्रत रखने वालों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों रूपों में लाभ मिलता है।
व्रत विधि:
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें
भगवान विष्णु और गंगा माता की पूजा करें
व्रत का संकल्प लें
पूरे दिन फल खाएं और जितना हो सके उतना कम पिएं
शाम को पूजा करके व्रत का समापन करें
कुछ लोग पितृ शांति या संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।
महिलाएं भी अपने परिवार की सुख-शांति और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं।

पूजा विधि और मंत्र
इस दिन भगवान विष्णु, गंगा माता और सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है।
जल देवता और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए यह दिन बहुत लाभकारी होता है।
पूजा विधि:
भगवान विष्णु की मूर्ति को पीले या सफेद कपड़े में रखें
तुलसी, चंदन, पीले फूल, फल और नैवेद्य चढ़ाएं
दीप और धूप जलाएं
‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें
गंगाजल से घर को शुद्ध करें
अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें
इस दिन सूर्य को अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है। इससे स्वास्थ्य, तेज और जीवन शक्ति बढ़ती है।
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पितृ कार्य और तर्पण विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पितरों की शांति के लिए तर्पण करना बहुत फलदायी माना जाता है।
जल, तिल और पुष्प अर्पित करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
तर्पण करने के लिए किसी पवित्र नदी या घर के आंगन में कुशा बिछाएं, जल में तिल, दूध और फूल डालें और निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ पितृभ्यो नमः”
पितरों के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव और उपाय
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पड़ने वाला ज्येष्ठा नक्षत्र विशेष रूप से प्रभावशाली होता है।
यह नक्षत्र तप, संयम और त्याग से जुड़े कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
इस दिन किए जाने वाले तांत्रिक उपाय और धार्मिक अनुष्ठान शीघ्र फल देते हैं।
उपाय:
जल स्रोतों में कमल के फूल चढ़ाएं
चींटियों को मीठा आटा खिलाएं
कुएं या पानी की टंकी में पानी दान करें
पानी में लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें
निष्कर्ष
ज्येष्ठ स्नान पूर्णिमा केवल एक त्यौहार नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि, सेवा और पितृऋण से मुक्ति का अवसर है।
यह दिन हमें जल के महत्व, दान की शक्ति और संयम के मूल्य की याद दिलाता है।
गर्मी की तपती धूप में दूसरों को शीतलता प्रदान करना ही सच्चा धर्म है।
वर्ष 2025 में यह त्यौहार 11 जून को आ रहा है, जो विशेष नक्षत्र संयोग के साथ शुभ साबित होगा।
आइए इस दिन आस्था, सेवा और साधना से जीवन को और अधिक पवित्र बनाएं।