वर्ष 2025 में मई का महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। पंचांग के अनुसार यह महीना 1 मई, गुरुवार से मृगशिरा नक्षत्र और शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर 31 मई, शनिवार को ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी तिथि को समाप्त होगा। इस दौरान वैशाख और ज्येष्ठ दोनों ही महीनों की तिथियां सम्मिलित होंगी। मई महीने के व्रत, पर्व और त्योहार आएंगे जिनका विशेष महत्व है।
आइए जानते हैं इस महीने पड़ने वाले प्रमुख धार्मिक अवसरों के बारे में।
गंगा सप्तमी – 3 मई 2025

मई महीने के व्रत व त्यौहारों में सबसे पहले है, गंगा सप्तमी वैशाख शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है।
वर्ष 2025 में यह पर्व 3 मई को मनाया जाएगा।
मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।
जब गंगा के वेग ने ऋषि जह्नु के आश्रम को नष्ट कर दिया तो उन्होंने क्रोध में गंगा को निगल लिया था।
बाद में भगीरथ और देवताओं की प्रार्थना पर उन्होंने गंगा को मुक्त किया था। इसीलिए उन्हें जाह्नवी भी कहा जाता है।
इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
सीता नवमी – 5 मई 2025

वैशाख शुक्ल नवमी को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है, जिसे माता सीता का जन्मोत्सव भी माना जाता है।
यह पर्व 5 मई को मनाया जाएगा।
इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं।
रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म धरती माता के गर्भ से हुआ था।
इस दिन वैवाहिक जीवन की स्थिरता और शांति के लिए सीता-राम की पूजा की जाती है।
मोहिनी एकादशी – 8 मई 2025
वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 7 मई से शुरू होकर 8 मई को समाप्त होगी, इसलिए मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई को रखा जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया था।
यह एकादशी व्रत पाप नाश करने वाला और मोक्ष देने वाला माना जाता है।
इस दिन व्रत, विष्णु सहस्रनाम का पाठ और दान का विशेष महत्व है।
शुक्र प्रदोष व्रत – 9 मई 2025
प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि को पड़ता है।
इस बार यह तिथि शुक्रवार को पड़ रही है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
यह व्रत शिव-पार्वती को समर्पित है। इस दिन सूर्यास्त के समय भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
भक्त रात्रि जागरण करते हैं और शिव चालीसा का पाठ करते हैं। प्रदोष काल में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
नरसिंह जयंती – 11 मई 2025

भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह जयंती वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को मनाई जाती है।
2025 में यह पर्व 11 मई को पड़ेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4:21 बजे से 7:03 बजे तक रहेगा।
भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। जो लोग रात में व्रत रखते हैं और अगली सुबह व्रत खोलते हैं।
वैशाख पूर्णिमा व्रत – 12 मई 2025
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति जुड़ी हुई है।
यह तिथि 11 मई को रात 8:01 बजे से शुरू होकर 12 मई को रात 10:25 बजे तक रहेगी।
पूर्णिमा पर दान, स्नान, व्रत और बुद्ध की शिक्षाओं का स्मरण करना पुण्यदायी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की भी पूजा की जाती है।
नारद जयंती – 13 मई 2025
ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा को देवर्षि नारद जयंती मनाई जाती है। 2025 में यह 13 मई को पड़ेगी।
माना जाता है कि नारद मुनि ने तीनों लोकों में घूमकर सभी देवताओं के बीच संवाद स्थापित किया था।
वे भगवान विष्णु के प्रिय भक्त थे।
इस दिन भक्त नारद पुराण का पाठ करते हैं और भक्ति मार्ग अपनाने का संकल्प लेते हैं।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी – 16 मई 2025
संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेशजी को समर्पित है।
वैशाख कृष्ण चतुर्थी तिथि 16 मई को सुबह 4:02 बजे से शुरू होकर 17 मई को सुबह 5:13 बजे तक रहेगी।
इसलिए यह व्रत 16 मई को रखा जाएगा।
इस दिन गणेश मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और चांद देखकर व्रत का समापन किया जाता है।
अपरा एकादशी – 23 मई 2025
अपरा एकादशी ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी को पड़ती है, जो 2025 में 23 मई को पड़ेगी।
इस व्रत को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
द्वादशी तिथि 24 मई को सुबह 5:26 से 8:11 बजे के बीच रहेगी।
शनि प्रदोष व्रत – 24 मई 2025
इस बार ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी शनिवार को पड़ रही है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
यह दिन शिव और पार्वती की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। 24 मई को प्रदोष काल शाम 7:20 से 9:13 बजे तक रहेगा।
यह व्रत शनि दोष से मुक्ति और लंबी आयु की प्राप्ति के लिए लाभकारी है।
वट सावित्री व्रत – 26 मई 2025
मई महीने के व्रत में सबसे महत्वपूर्ण इस साल है वट सावित्री व्रत।
विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं।
2025 में यह व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। यह व्रत वट (बरगद) वृक्ष की पूजा से जुड़ा है।
वट सावित्री व्रत स्त्री के प्रेम, तप और निष्ठा का प्रतीक है।
इस दिन सत्यवान-सावित्री की कथा पढ़कर आशीर्वाद लिया जाता है

शनि जयंती – 26 मई 2025
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का जन्म हुआ था।
इस बार यह तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 8:31 बजे तक रहेगी।
शनि जयंती के दिन शनि मंदिरों में विशेष पूजा, दान और तेलाभिषेक किया जाता है।
इसके साथ ही शनि दोष दूर करने के उपाय भी किए जाते हैं।
भौमवती अमावस्या – 27 मई 2025
27 मई, मंगलवार को अमावस्या पड़ रही है, जिसे भौमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन तीर्थ स्नान, पितृ तर्पण और दान का बहुत महत्व है।
भौमवती अमावस्या को विशेष रूप से पितरों की शांति के लिए पूजा के लिए अच्छा माना जाता है।
निष्कर्ष
हिंदू पंचांग के अनुसार मई 2025 में कई प्रमुख व्रत और त्यौहार आएंगे, जिनमें गंगा सप्तमी, मोहिनी एकादशी, नरसिंह जयंती, वैशाख पूर्णिमा, वट सावित्री व्रत और शनि जयंती जैसे त्यौहार शामिल हैं।
ये सभी धार्मिक अवसर न केवल आस्था और भक्ति के प्रतीक हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।
इन व्रतों को विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।