हिंदू धर्म में वैशाख माह का विशेष महत्व है और इस माह की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाने वाला व्रत, वैशाख पूर्णिमा व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
इसे वैसाखी पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा और गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु और श्री सत्यनारायण की पूजा के साथ गंगा स्नान, दान और व्रत किया जाता है।
साथ ही, यह दिन बौद्ध धर्म में भी पवित्र माना जाता है क्योंकि यह भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण से जुड़ा हुआ है।
यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत 2025 तिथि
वैशाख पूर्णिमा व्रत 2025 में 12 मई को होगा। पूर्णिमा तिथि 11 मई को शाम 6:55 बजे से शुरू होगी और 12 मई को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी।
इस दौरान व्रत, पूजा, दान और स्नान का विशेष महत्व है।
कई भक्त इस दिन गंगा नदी या किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करते हैं।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन किए गए कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
खास तौर पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार पूजा-पाठ के लिए सबसे अच्छा समय पूर्णिमा का माना जाता है, इसलिए इस दिन व्रत और सत्यनारायण पूजा करनी चाहिए।

वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बहुत व्यापक है। यह दिन त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है।
खास तौर पर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ था, इसलिए बौद्ध धर्म में भी इस दिन को बहुत पवित्र माना जाता है।
साथ ही यह दिन गंगा अवतरण का दिन भी है, जिसे गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है।
कई जगहों पर मेले और तीर्थयात्राओं का आयोजन किया जाता है।
श्रद्धालु गंगा तट पर एकत्र होते हैं और दीपदान करते हैं।
व्रत एवं पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना आवश्यक है।
यदि गंगा में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
स्नान के बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी की पूजा की जाती है।
पूजा स्थल को साफ करके कलश स्थापित करें।
दीप जलाएं, धूप-चंदन-अक्षत-पुष्प अर्पित करें।
सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
प्रसाद में पंजीरी, फल और पंचामृत चढ़ाएं।
शाम को दीपदान करें और तुलसी पर दीपक जलाएं।
पूजा के बाद स्वयं भोजन न करके ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र-जल दान करना इस दिन शुभ माना जाता है।
गंगा स्नान और दान का महत्व
इस दिन गंगा स्नान को अत्यंत पवित्र माना जाता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि वैशाख पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संभव हो तो हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, गंगासागर जैसे तीर्थ स्थानों पर स्नान करें।
स्नान के बाद तांबे के बर्तन में जल, वस्त्र, अन्न, घी, पंखा, फल, धन आदि दान करें।
यह दान गृह कलह, धन की कमी और पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।
साथ ही इस दिन जल से भरा मिट्टी का घड़ा, सत्तू और चावल दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
सत्यनारायण व्रत कथा का महत्व
सत्यनारायण को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
वैशाख पूर्णिमा पर उनकी व्रत कथा सुनने या पढ़ने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
स्कंद पुराण में इस कथा का वर्णन है। इसमें पाँच अध्याय हैं, जिन्हें भक्ति भाव से पढ़ना चाहिए।
पूजा में भगवान की मूर्ति या चित्र पर फूल, फल, मिठाई और तुलसी के पत्ते चढ़ाएँ।
पंचामृत से स्नान कराकर कथा शुरू करें और पूजा के बाद सभी को प्रसाद बाँटें।
मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सत्यनारायण व्रत रखता है, उसके जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और सुख-शांति बनी रहती है।
बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व
बौद्ध धर्म के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा का दिन भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ा हुआ है।
इस दिन को उनके जन्म, बोधगया में ज्ञान प्राप्ति और कुशीनगर में महापरिनिर्वाण का दिन भी माना जाता है।
इसलिए बौद्ध धर्मावलंबी इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं।
सारनाथ, बोधगया और लुंबिनी जैसे विभिन्न बौद्ध स्थलों पर विशेष पूजा, ध्यान और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
बौद्ध धर्मावलंबी इस दिन पंचशील का पालन करते हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जीवन में अपनाने के संकल्प के साथ इस दिन ध्यान और सेवा की जाती है।

व्रत में क्या करें
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें, अधिमानतः गंगाजल से।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें।
तुलसी को जल दें, उसके सामने दीपक जलाएं।
सत्यनारायण व्रत कथा सुनें या सुनाएं।
पूरे दिन व्रत रखें, फल खाएं या दिन में एक बार सात्विक भोजन करें।
ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान दें।
घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखें, ध्यान या जप करें।
शाम को दीप दान करें।
व्रत के दौरान क्या न करें
क्रोध, झूठ, निंदा और आलस्य से बचें।
मांस और शराब जैसे तामसिक भोजन का सेवन न करें।
व्रत के दिन कठोर शब्द बोलने और विवाद करने से बचें।
ब्रह्म मुहूर्त में देर से उठना अशुभ माना जाता है।
बिना स्नान किए पूजा न करें।
तुलसी को जल चढ़ाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
झूठे हाथों से भगवान को न छूएं।
अपने व्रत या पवित्र कर्मों का दिखावा न करें।
वैशाख पूर्णिमा के आसान उपाय
सूर्यदेव को तांबे के लोटे में लाल फूल डालकर जल चढ़ाएं।
विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
तुलसी में गाय के घी का दीपक जलाएं, घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।
गौ माता को हरा चारा खिलाएं।
चींटियों को आटा खिलाएं, इससे पितृ दोष की शांति होती है।
जल से भरा मिट्टी का घड़ा दान करें, इससे ग्रह दोष कम होते हैं।
केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं, इससे कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
निष्कर्ष
वैशाख पूर्णिमा व्रत धर्म, आध्यात्म और पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत ही शुभ अवसर है।
जहां एक ओर यह दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने का माध्यम है, वहीं दूसरी ओर यह भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से आत्मशुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।
इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, ध्यान और दान जैसे कार्य विशेष फलदायी माने जाते हैं।
यदि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजा की जाए, तो जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं और सौभाग्य, सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।