विकट संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे ‘अंगारकी चतुर्थी’ कहा जाता है और यदि इसे संकटनाशक के रूप में विशेष रूप से पूजा जाता है, तो इसे ‘विकट संकष्टी चतुर्थी’ कहा जाता है।
इस दिन, भक्त गणपति बप्पा से सभी बाधाओं, दुखों और रोगों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
मई 2025 में विकट संकष्टी का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रत ऐसे समय में पड़ रहा है जब सूर्य की तीव्रता और मानसिक तनाव अधिक होता है।
विकट संकष्टी चतुर्थी मई 2025 तिथि और समय
मई 2025 में विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 26 मई, सोमवार को मनाया जाएगा।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025, शाम 6:06 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 27 मई 2025, शाम 4:53 बजे
चंद्रोदय समय: रात 9:38 बजे
चतुर्थी व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है, इसलिए व्रती भक्त चांद देखने के बाद ही भोजन और जल ग्रहण करते हैं।
यह तिथि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए शुभ मानी जाती है जो भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “संकटमोचक” के रूप में पूजते हैं।

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत की महिमा
‘विकट’ शब्द का अर्थ है – कठिन या भयानक।
इस दिन भगवान गणेश के ‘विकट’ रूप की पूजा की जाती है, जो जीवन के सबसे जटिल संकटों को भी सरल बना सकते हैं।
यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो जीवन में बार-बार समस्याओं, बाधाओं या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमित रूप से करने से सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
खासकर महिलाओं के बीच यह व्रत संतान सुख, पारिवारिक उन्नति और स्वास्थ्य के लिए बहुत कारगर माना जाता है।
व्रत और पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
व्रत का संकल्प लें – “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश की पूजा करने का संकल्प लें।
घर या मंदिर में गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें।
लाल फूल, दूर्वा, मोदक, फल, नारियल, दीप, धूप आदि से पूजा करें।
गणेश अथर्वशीर्ष, संकटनाशन स्तोत्र या गणपति सहस्रनाम का पाठ करें।
व्रत के दौरान पूरे दिन फलाहार करें या निर्जला व्रत रखें।
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें, गणेशजी से संकटों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें और फिर व्रत खोलें।
चंद्र पूजन का महत्व
विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही पूरा होता है।
चंद्रमा को भगवान गणेश के सिर का आभूषण माना जाता है।
इस दिन चंद्र पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और मनोबल बढ़ता है।
चंद्रमा को ठंडे जल, दूध, चावल, फूल और अक्षत से अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देते समय आप यह मंत्र बोल सकते हैं –
“ॐ चं चंद्राय नमः”
मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूरा होता है और जीवन की सभी “विकट” समस्याएं धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं।
व्रत के नियम
व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
मांस, शराब, प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजों से बचें।
बिना स्नान किए भोजन न करें।
झूठ, क्रोध और बुरे विचारों से दूर रहें।
शाम के समय व्रत कथा सुनना या पढ़ना लाभदायक होता है।
संभव हो तो परिवार के साथ सामूहिक पूजा करें।
चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूरा लाभ मिलता है और जीवन में शुभता बनी रहती है।
संकष्टी व्रत के दौरान जपे जाने वाले मुख्य मंत्र
- गणपति बीज मंत्र:
“ॐ गं गणपतये नमः”
यह मंत्र बाधाओं को दूर करता है।
इस स्तोत्र के पाठ से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- गणेश अथर्वशीर्ष
इसका पाठ करने से मन शुद्ध होता है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
- गणेश गायत्री मंत्र:
“ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्”
- गणेश चालीसा
गणेश चालीसा का पाठ करने से भगवान श्री गणेश प्रसन्न होते हैं।
व्रत के दिन सुबह और शाम दोनों समय इन मंत्रों का जाप करें ताकि शुभ फल प्राप्त हो।
इस दिन के लिए विशेष उपाय
गुड़ और चने को लाल कपड़े में बांधकर दान करें – शनि और राहु दोष दूर होते हैं।
गणेश मंदिर में दूर्वा चढ़ाएं – मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
“ॐ विघ्नशाय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें – बिगड़े काम बन जाते हैं।
गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं – पारिवारिक कलह दूर होते हैं।
गरीब बच्चों को मोदक या मिठाई दान करें – धन में वृद्धि होती है।
इन छोटे-छोटे उपायों से संकष्टी चतुर्थी का पुण्य और भी बढ़ जाता है।

निष्कर्ष
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत न केवल भगवान गणेश की कृपा पाने का एक सुंदर अवसर है, बल्कि यह आध्यात्मिक शांति, स्वास्थ्य और संकट निवारण का भी अचूक उपाय है।
मई 2025 की यह तिथि भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है क्योंकि यह परिवर्तन और मानसिक संघर्ष का समय है।
ऐसे में भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में संतुलन आता है।
यदि भक्त नियमानुसार व्रत रखें और सच्चे मन से प्रार्थना करें तो जीवन की कठिन से कठिन समस्याएं भी अवश्य हल हो जाती हैं।