माँ दुर्गा की आरती का महत्व बहुत गहरा है।
यह सिर्फ धार्मिक साधना नहीं बल्कि शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का माध्यम है।
जब भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा की आरती करते हैं, तो उनके चारों ओर एक दिव्य आभा बनती है, जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है।
आरती करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
माँ दुर्गा की कृपा पाने का यह सबसे सरल और कारगर उपाय है।
नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से की जाने वाली आरती जीवन की सभी बाधाओं को दूर करती है और परिवार में सुख-शांति बनाए रखती है।
कहा जाता है कि मां दुर्गा की आरती करने से न केवल सांसारिक जीवन में तरक्की होती है बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता भी बढ़ती है।
रोजाना आरती करने वाले भक्तों को हमेशा मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ दुर्गा की आरती (गीत)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
माँ दुर्गा की आरती गाने से भक्तों के मन और आत्मा को शांति मिलती है। आरती गाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूरा वातावरण शुद्ध और पवित्र हो।
माँ दुर्गा की आरती करने की विधि
सबसे पहले माँ दुर्गा की आरती करने के लिए स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को साफ करके माँ की मूर्ति या चित्र को फूलों से सजाएँ।
दीपक जलाएँ और कपूर से वातावरण को शुद्ध करें।
आरती के लिए धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, कुमकुम और चंदन तैयार रखें।
घी का दीपक जलाकर माँ की मूर्ति के सामने रखें और घंटी की ध्वनि के साथ आरती शुरू करें।
आरती के दौरान घी या कपूर का दीपक घुमाना शुभ माना जाता है।
आरती समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित करें और सभी भक्तों के साथ इसका सेवन करें।
माँ दुर्गा की आरती पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करनी चाहिए, ताकि उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
आरती के नियम और सावधानियां
माँ दुर्गा की आरती करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।
सबसे पहले आरती करने से पहले खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध करें।
आरती के दौरान कोई भी विचलित करने वाली गतिविधि न करें और पूरी श्रद्धा से मां का स्मरण करें।
आरती करने से पहले घर के सभी सदस्यों को इकट्ठा करें, क्योंकि सामूहिक आरती का प्रभाव अधिक होता है।
कपूर और घी के दीपक को हमेशा सही दिशा में घुमाएं और आरती के अंत में इसे चारों दिशाओं में घुमाएं और सभी को आशीर्वाद दें।
आरती के बाद दीपक को बुझाने के बजाय उसे खुद ही बुझने दें, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।
आरती के दौरान अपशब्दों का प्रयोग करने से बचें और पूजा स्थल को साफ रखें।
इन नियमों का पालन करने से मां का आशीर्वाद जल्दी मिलता है।

माँ दुर्गा की आरती के चमत्कारी लाभ
माँ दुर्गा की आरती करने से कई चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं।
सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता फैलती है।
आरती से मानसिक शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलती है।
माँ दुर्गा की कृपा से रोग, शत्रु और परेशानियां दूर होती हैं।
आरती से मन की एकाग्रता बढ़ती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
नियमित रूप से आरती करने वाले भक्तों को हमेशा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन में किसी भी तरह की परेशानियों से गुजर रहे हैं।
आरती के दौरान बोले जाने वाले अन्य मंत्र और भजन
माँ दुर्गा की आरती के दौरान अन्य मंत्र और भजन गाने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
दुर्गा सप्तशती के श्लोक, “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र और “अष्टाक्षरी दुर्गा मंत्र” का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसके अलावा आरती के साथ “अंबे तू है जगदंबा काली“, “जय जय जगदंबा माता” जैसे भजन गाए जा सकते हैं।
इससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है और माता का आशीर्वाद जल्दी मिलता है।
दान और आरती का महत्व
आरती के बाद दान और पुण्य का विशेष महत्व है।
मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करने चाहिए।
मंदिरों में दीप जलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
आरती के समय फल, मिठाई और अन्य सात्विक पदार्थों का दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
माँ दुर्गा की आरती भक्तों के जीवन में शक्ति, समृद्धि और आत्मविश्वास का संचार करती है।
यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी है।
मां दुर्गा की आरती करने से नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
नियमित रूप से आरती करने से मां की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।