नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं।
इनकी पूजा से आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है और साधना के प्रारंभिक चरण को बल मिलता है।
माता शैलपुत्री का संबंध पर्वतराज हिमालय से है, जिसके कारण इन्हें पर्वतों की शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
इनकी कृपा पाने के लिए भक्त विशेष मंत्र, स्तुति और उपाय करते हैं।
इस लेख में हम माता शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए किए जाने वाले कारगर उपायों और मंत्र साधना के गूढ़ रहस्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
माता शैलपुत्री का स्वरूप और महत्व
माता शैलपुत्री ने पिछले जन्म में माता सती के रूप में जन्म लिया था, जो दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं।
जब वे अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर सकीं, तो उन्होंने योगबल से अपना शरीर त्याग दिया।
अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं और माता शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

माता शैलपुत्री के प्रतीकात्मक स्वरूप की व्याख्या
वृषभ पर सवार – माता का वाहन वृषभ (बैल) धैर्य और शक्ति का प्रतीक है।
त्रिशूल धारण करना – त्रिशूल तीन गुणों – सत, रज और तम पर नियंत्रण का प्रतीक है।
कमल का फूल – यह पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है।
चंद्रमा से संबंध – माता शैलपुत्री के माथे पर अर्धचंद्र है, जो मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता का संकेत देता है।
माता शैलपुत्री की कृपा पाने के सरल उपाय
माता शैलपुत्री की पूजा करने का सही तरीका
चैत्र नवरात्रि में माता शैलपुत्री की पूजा करने से पहले साधक को खुद को शुद्ध करना चाहिए। पूजा के दौरान निम्नलिखित नियमों का पालन करें:
ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
माता शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को साफ आसन पर स्थापित करें।
रोली, अक्षत, चंदन और सफेद फूल चढ़ाएं।
शुद्ध घी का दीपक जलाएं और माता को पंचामृत स्नान कराएं।
विशेष रूप से सफेद कपड़े, सफेद फूल और सफेद प्रसाद चढ़ाएं।
माता शैलपुत्री के पसंदीदा प्रसाद
माता को कुछ खास प्रसाद चढ़ाने से उनकी कृपा जल्दी मिलती है। इनमें शामिल हैं:
गाय का दूध – यह सात्विकता और पवित्रता का प्रतीक है।
मिश्री – पवित्रता और सौभाग्य प्रदान करने वाला भोग।
खीर – यह देवी की प्रसन्नता और सौम्यता से जुड़ी है।
नारियल – इसे सौभाग्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
घी का दीपक जलाने का महत्व
पूजा के दौरान माता के सामने घी का दीपक जलाने से घर में शुभता आती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और देवी की कृपा बढ़ती है।
मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए ध्यान
मां शैलपुत्री मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस चक्र के जागरण से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और साधक को आंतरिक स्थिरता मिलती है।
ध्यान के दौरान इस चक्र को जागृत करने के लिए “ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप किया जाता है।
शैलपुत्री देवी के विशेष मंत्र और स्तुति
- बीज मंत्र
“ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै नमः”
यह बीज मंत्र साधक को दिव्य ऊर्जा प्रदान करता है। इस मंत्र के जाप से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- माता शैलपुत्री का मूल मंत्र
“वन्दे वांचितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढं शूलधरं शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।
इस मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
- माता शैलपुत्री का कवच
“ॐ नमः शैलपुत्र्यै मां पालय पालय स्वाहा।”
इस मंत्र का जाप करने से साधक सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है।
- माता का ध्यान एवं स्तुति
“पट्टंबर परिहारं गौरीमर्देंदुशेखरम्।”
वृषारूढं त्रिशूलधरं शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।
यह स्तुति का जाप करने से साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नवरात्रि साधना के लिए अचूक उपाय
- रुद्राक्ष धारण करें
रुद्राक्ष धारण करने से साधक की ऊर्जा बढ़ती है। एकमुखी या पंचमुखी रुद्राक्ष विशेष शुभ होता है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
मां शैलपुत्री भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं और साधक को विशेष आशीर्वाद मिलता है।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें
माता शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है। नवरात्रि के पहले दिन चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य देने से मन शांत रहता है।
- घर में शंख बजाएं
नवरात्रि में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और मां की कृपा बनी रहती है।
- कन्या पूजन करें
मां शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए नवरात्रि में कन्या पूजन करना बहुत शुभ होता है।
निष्कर्ष
मां शैलपुत्री की पूजा से जीवन में स्थिरता, शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा आती है।
नवरात्रि में उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा विधि, मंत्र जाप और सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं।
अगर ये उपाय श्रद्धापूर्वक और नियमित रूप से किए जाएं तो देवी मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।