भानु सप्तमी के दिन स्नान दान और सूर्य भगवान की पूजा कर भानु सप्तमी की कथा पढ़ने का विशेष महत्व है।
सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है।
ब्रह्मांड के सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हैं।
इस दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य नमस्कार स्रोत और सूर्य देव के नाम को पढ़ना और सुनना अत्यंत शुभ माना गया है।
ऐसे मनुष्य को निरोगी काया की प्राप्ति होती है और मान्यता यह भी है कि प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
भानु सप्तमी के दिन सूर्य भगवान का पूजन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
इस दिन दांडी पुण्य करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। और प्रसाद के रूप में गेहूं की खीर बनाते हैं।
आइये पढ़ते हैं भानु सप्तमी की कथा।

भानु सप्तमी की कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा- कलयुग में स्त्रियों को किस व्रत या पूजन से पुत्रों की प्राप्ति होगी?
इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वैश्या थी।
एक बार उसने ऋषि वशिष्ठ से पूछा कि है मुनिवर मैं आज तक कोई धार्मिक कार्य नहीं किया लेकिन मुझे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की इच्छा है।
तो वह मुझे कैसे प्राप्त होगा?
इंदुमती की बातें सुनकर ऋषि वशिष्ठ ने उत्तर दिया की महिलाओं को मुक्ति सौंदर्य और सौभाग्य देने वाली भानु सप्तमी से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
इस दिन व्रत और उपवास करने वाली हर महिला को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इसलिए तुम इस व्रत का विधिपूर्वक पालन करो इससे तुम्हारा कल्याण हो जाएगा।
वशिष्ठ जी के कहने पर इंदुमती ने भानु सप्तमी व्रत का पालन किया और और जब उसकी मृत्यु हुई तब उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
वहां जाने के बाद वह सभी अप्सराओं की नायिका बन गई।
हे प्रभु जैसे आपने इंदुमती की इच्छा को पूरा किया वैसे ही हर व्रतधारी को मनवांछित फल देना।
कहानी सुनने वालों का भी भला और सुनाने वालों का भी भला। जय सूर्य भगवान। जय मां लक्ष्मी।
सूर्य देव के 12 नाम
सूर्य भगवान के 12 नाम
- ॐ सूर्याय नमः।
- ॐ रवये नमः।
- ॐ भास्कराय नमः।
- ॐ मित्राय नमः।
- ॐ भानवे नमः।
- ॐ खगय नमः।
- ॐ पुषणे नमः।
- ॐ मारिचाये नमः।
- ॐ आदित्याय नमः।
- ॐ आर्काय नमः।
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
- ॐ सावित्रे नमः।
।।जय सूर्य देव।।

सूर्य देव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥