भानु सप्तमी सूर्य उपासना का एक विशेष व्रत है, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।
इसे सूर्य सप्तमी या रथ सप्तमी भी कहा जाता है।
इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, मान-सम्मान और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में सूर्य देव को आत्मा का प्रतीक माना जाता है। वे नवग्रहों के राजा और जीवन के मूल स्रोत हैं।
इसलिए सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास बढ़ता है।
इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

भानु सप्तमी व्रत का महत्व
इस दिन भगवान सूर्य अपनी दिव्य किरणों से भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस व्रत के लाभ:
- रोगों से मुक्ति: सूर्य देव स्वास्थ्य के कारक हैं, इसलिए इस व्रत को करने से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।
- समृद्धि और खुशहाली: इस व्रत को करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- राजयोग की प्राप्ति: सूर्य ग्रह के मजबूत होने से सरकारी नौकरी और प्रशासनिक क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
- पितृ दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
- आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि: इस व्रत को करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।
भानु सप्तमी व्रत पूजा विधि
स्नान और संकल्प:
सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर स्नान करें।
स्नान करते समय “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि:
तांबे के बर्तन में जल, लाल फूल, गुड़ और चावल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें:
“ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।”
सूर्य देव की विशेष पूजा:
लाल कपड़े पर सूर्य देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
उन्हें चंदन, रोली, चावल, लाल फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
गुड़ और तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं।

मंत्र जाप और पाठ:
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करें:
“ॐ ह्रीं घृणि सूर्याय नमः।”
विशेष दान:
ब्राह्मणों को गुड़, गेहूं, तांबे के बर्तन और लाल कपड़े दान करें।
ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं।
घर में सौर ऊर्जा का प्रवाह कैसे बढ़ाएं?
सूर्य देव की कृपा पाने के लिए घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखना ज़रूरी है।
अगर घर में सौर ऊर्जा का प्रवाह कम है, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, आलस्य, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
सौर ऊर्जा बढ़ाने के उपाय:
- घर में सूर्य की रोशनी आने दें:
सुबह घर की खिड़कियाँ और दरवाज़े खोल दें, ताकि सूर्य की किरणें घर में प्रवेश कर सकें।
गहरे और भारी पर्दों की जगह हल्के रंग के पर्दों का इस्तेमाल करें।
- दीवारों का रंग हल्का रखें:
घर के दक्षिण-पूर्व दिशा को लाल, केसरिया या हल्के पीले रंग से रंगें।
काले और गहरे रंगों से बचें क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं।
- तांबे का सूर्य यंत्र स्थापित करें:
मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर तांबे का सूर्य यंत्र स्थापित करें।
इसके सामने प्रतिदिन दीपक जलाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें।
- सूर्य मंत्रों का जाप करें:
प्रतिदिन सुबह 108 बार “ॐ ह्रीं घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
घर के माहौल को सकारात्मक बनाए रखने के लिए सूर्य उपासना करें।
- सूर्य नमस्कार करें:
प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और सकारात्मकता बनी रहती है।
यह घर के सभी सदस्यों के लिए लाभकारी होता है।
कौन से वास्तु उपाय सूर्य दोष को खत्म कर सकते हैं?
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जैसे करियर में रुकावटें, पिता के साथ संबंधों में तनाव, सरकारी मामलों में रुकावटें आदि।
ऐसी स्थिति में कुछ वास्तु उपाय अपनाकर सूर्य दोष को खत्म किया जा सकता है।
सूर्य दोष निवारण के मुख्य उपाय:
- घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को साफ रखें:
यह दिशा अग्नि तत्व की है और सूर्य ग्रह से संबंधित है।
यहां लाल रंग के पर्दे, कालीन या तस्वीरें लगाना शुभ माना जाता है।
- मुख्य द्वार पर सूर्य यंत्र स्थापित करें:
घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा को सकारात्मक बनाए रखने के लिए ऐसा करें।
प्रतिदिन सूर्य यंत्र की पूजा करें और दीपक जलाएं।
- नमक और पानी से पोछा लगाएं:
सप्ताह में कम से कम एक बार समुद्री नमक मिले पानी से घर में पोछा लगाएं।
इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सुबह जल चढ़ाने की आदत डालें:
परिवार के सदस्यों को नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाने की आदत डालनी चाहिए।
इससे सूर्य की अनुकूलता बढ़ती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
- तांबे के बर्तन में पानी पिएं:
तांबा सूर्य ग्रह की धातु है, इसलिए तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से सूर्य मजबूत होता है।
- रवि पुष्य नक्षत्र में सूर्य उपासना करें:
इस विशेष नक्षत्र में सूर्य की पूजा करने से सूर्य दोष दूर होता है और जीवन में सफलता मिलती है।

निष्कर्ष
भानु सप्तमी व्रत भगवान सूर्य की कृपा पाने का एक अद्भुत तरीका है।
इस व्रत को करने से न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, बल्कि इसका वैज्ञानिक और ज्योतिषीय प्रभाव भी बेहद सकारात्मक है।
अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, आत्मविश्वास, स्वास्थ्य और समृद्धि चाहता है, तो उसे इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।
साथ ही, अगर घर में सौर ऊर्जा का प्रवाह कम है या कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो कुछ सरल वास्तु उपायों को अपनाकर इस दोष को दूर किया जा सकता है।
ये उपाय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता लाते हैं।
“सूर्य देव की कृपा से आपके जीवन में प्रकाश और सफलता बनी रहे!”