हिंदू धर्म में भगवान शिव को सर्वोच्च देवता के रूप में पूजा जाता है। त्रिदेवों में से एक शिव को संहारक और पुनर्निर्माण का देवता माना जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन को शिव चतुर्दशी व्रत के नाम से जाना जाता है।
शिव चतुर्दशी व्रत करने से पापों का नाश होता है, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है जो अपने जीवन में शांति, स्वास्थ्य, धन और पारिवारिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं।
इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव की स्तुति करते हुए पूरी रात जागरण करते हैं।
शिव चतुर्दशी व्रत 2025 मार्च तिथि
27 मार्च 2025 को गुरुवार है और इस दिन चतुर्दशी है।
शिव चतुर्दशी व्रत हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है।
इस दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। व्रत के दौरान सात्विक और हल्का भोजन किया जाता है।
शुभ पंचांग आज त्रयोदशी – रात 11:03 बजे तक चतुर्दशी है, आज गुरुवार है।
अगर आप कोई शुभ काम करना चाहते हैं तो राहुकाल का समय जरूर देखें, इस समय कोई भी शुभ काम न करें।
आज राहुकाल दोपहर 01:59 बजे से 03:31 बजे तक रहेगा।

शिव चतुर्दशी व्रत का महत्व
धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से शिव चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व है।
धार्मिक महत्व:
हिंदू शास्त्रों के अनुसार शिव चतुर्दशी व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
यह व्रत विशेष रूप से महाशिवरात्रि से पहले चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, जिसे भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है।
आध्यात्मिक महत्व:
यह व्रत आत्मा को शुद्ध करता है।
यह व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करता है।
ध्यान और साधना साधक को ध्यान की गहराई में जाने में मदद करते हैं।
वैज्ञानिक महत्व:
उपवास शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है।
रात्रि जागरण से मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है।
पंचामृत अभिषेक से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
शिव चतुर्दशी व्रत की विधि:
- प्रातः विधि:
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
घर में पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से पवित्र करें।
शुद्ध सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
- व्रत का संकल्प:
भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
संकल्प लेते समय यह प्रार्थना करें:
“हे भोलेनाथ! मैं आज आपका आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत कर रहा हूँ। कृपया मेरी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।”
- पूजन सामग्री:
बेलपत्र, धतूरा, आक, सफेद पुष्प, पंचामृत, गंगाजल, अक्षत, चंदन, दीपक, अगरबत्ती, रुद्राक्ष की माला।
- पूजन विधि:
शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएँ।
पंचामृत से अभिषेक करें और फिर जल से स्नान कराएँ।
बेलपत्र, पुष्प, धतूरा और आक चढ़ाएँ।
दीप जलाएं और धूपबत्ती अर्पित करें।
चंदन का तिलक लगाएं।
भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
- रात्रि जागरण:
रात में जागकर शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र या शिव पुराण का पाठ करें।
रात्रि जागरण में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना अनिवार्य माना जाता है।
- व्रत का समापन:
अगले दिन ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराएं।
दान-दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करें।

व्रत के नियम
व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
दिनभर उपवास रखें, अगर स्वास्थ्य अनुकूल न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
सात्विक भोजन करें, प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
क्रोध, झूठ, अशुद्ध विचार और विवाद से बचें।
भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं और दिनभर उनका ध्यान करें।
शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाते समय “ओम नमः शिवाय” का जाप करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
- ओम नमः शिवाय:
यह पंचाक्षर मंत्र भगवान शिव का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है।
दिन भर इसका जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- महामृत्युंजय मंत्र:
“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
जैसे उर्वशी ने अमृत से मुझे मृत्यु के बंधन से मुक्त किया था, वैसे ही मुझे भी मुक्त करो।
माना जाता है कि यह मंत्र रोग, भय और मृत्यु से मुक्ति दिलाता है।
- रुद्राष्टक स्तोत्र:
यह भगवान शिव की स्तुति का एक प्रसिद्ध स्तोत्र है।
रात में जागकर इसका पाठ करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
- शिव गायत्री मंत्र:
“ॐ तत्त्वाय च विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”
रुद्र हमारे लिए प्रार्थना करें।
यह मंत्र आध्यात्मिक शुद्धि और ध्यान की गहराई में जाने में मदद करता है।
शिव चतुर्दशी व्रत में क्या खाए और क्या नहीं?
क्या खाए?
शिव चतुर्दशी के दिन व्रत रखने वाले भक्त सामान्य भोजन के बजाय फल खाते हैं।
यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि शारीरिक शुद्धि और स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
यदि स्वास्थ्य कारणों से पूर्ण उपवास संभव नहीं है, तो आप निम्नलिखित सात्विक और व्रत के अनुकूल आहार ले सकते हैं:
- फल और मेवे:
सेब, केला, अनार, पपीता, मौसमी जैसे ताजे फलों का सेवन किया जा सकता है।
बादाम, काजू, अखरोट, किशमिश और कमल के बीज जैसे सूखे मेवे खाना फायदेमंद होता है।
नारियल का पानी पीना भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
- व्रत के अनाज:
सामक चावल (व्रत के चावल) से बनी खिचड़ी या खीर।
कुट्टू का आटा या सिंघाड़े का आटा, जिसका उपयोग पूरी या पकौड़े बनाने के लिए किया जा सकता है।
साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना वड़ा या खीर भी स्वीकार्य हैं।

- दूध और दूध से बने उत्पाद:
दूध, दही, पनीर, छाछ और छाछ का सेवन किया जा सकता है।
आप फलों के साथ मिल्कशेक बनाकर भी पी सकते हैं।
- व्रत के दौरान उपयोगी सब्जियाँ:
आलू, शकरकंद, कद्दू, लौकी और अरबी का सेवन किया जा सकता है।
इन सब्ज़ियों को सेंधा नमक (व्रत नमक) के साथ पकाना चाहिए।
- व्रत के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मसाले:
सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा और हरी मिर्च का इस्तेमाल करें।
साधारण नमक, हल्दी और गरम मसाला से बचें।
- पेय पदार्थ:
खूब पानी पिएँ।
आप नींबू पानी, नारियल पानी या फलों का जूस पी सकते हैं।
तुलसी या अदरक वाली हर्बल चाय भी फायदेमंद है।
व्रत के दौरान क्या न खाएं?
प्याज और लहसुन से बनी कोई भी चीज़ न खाएँ।
अनाज, दालें, मांसाहारी भोजन और शराब से पूरी तरह परहेज़ करें।
मसालेदार भोजन, तली हुई चीजें और फास्ट फूड से परहेज करें।
उपवास का उद्देश्य शरीर और मन की शुद्धि है। इसलिए हल्का, सात्विक और ऊर्जा देने वाला भोजन ही करना चाहिए।
इससे न केवल व्रत सफल होता है, बल्कि शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है।
विशेष उपाय
- धन-समृद्धि के लिए:
शिवलिंग पर शहद और दूध चढ़ाएं और 108 बार “ॐ श्रीं नमः शिवाय” का जाप करें।
- वैवाहिक समस्याओं के लिए:
शिवलिंग पर बेल के पत्ते चढ़ाएं और माता पार्वती का ध्यान करें।
- रोग निवारण के लिए:
महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
रोगी के नाम पर जल चढ़ाएं और भगवान शिव से उपचार के लिए प्रार्थना करें।
- शत्रु बाधाओं से मुक्ति:
काले तिल के जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
“ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
शिव चतुर्दशी व्रत के लाभ
सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
रोगों से मुक्ति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
शिव चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथाएं
समुद्र मंथन की कथा: ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था।
इसी कारण उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।
चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से विष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
रावण की तपस्या: रावण ने चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की तपस्या की थी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था।
इस व्रत को तपस्या, भक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

निष्कर्ष
शिव चतुर्दशी व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का एक बहुत ही कारगर उपाय है।
इस व्रत को करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि भौतिक सुख-सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
अगर इस व्रत को श्रद्धापूर्वक किया जाए, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि सुनिश्चित होती है।
भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं, और जीवन में सफलता के नए रास्ते खुलते हैं।
“हर हर महादेव”