गणेश चतुर्थी व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है।
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है, हालांकि फाल्गुन मास की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।
इस माह, 17 मार्च 2025 को यह व्रत मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान गणेश की पूजा करने के लिए है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि का प्रदायक और मंगलकारी देवता हैं।
इस लेख में हम गणेश चतुर्थी व्रत की विधि, नियम, पूजन सामग्री और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
गणेश चतुर्थी व्रत से सभी प्रकार के बाधाएं और संकट समाप्त हो जाते हैं।
इस व्रत करने वाले भक्तों को बुद्धि, धन, सुख और समृद्धि मिलती है।
यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से कार्यों में सफलता मिलती है और किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने में आ रही बाधाएं हट जाती हैं।
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गणेश चतुर्थी व्रत विधि
गणेश चतुर्थी व्रत करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। इस व्रत को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जाता है:
संकल्प
प्रात:काल स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
संकल्प करते समय अपने व्रत के उद्देश्य को स्पष्ट करें और मन में दृढ़ निश्चय करें कि यह पूरा करेंगे।
पूजा स्थल की तैयारी
घर में कोई पवित्र स्थान चुनें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर गणेश मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पास में दीपक, अगरबत्ती, पुष्प और अन्य पूजन सामग्री रखें।
गणेश मूर्ति का स्नान
मूर्ति को जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद साफ पानी से धोकर उन्हें कपड़े से सुँवारें।
रोली और चंदन का तिलक लगाएं और फूल और माला उपहारित करें।
गणेश मंत्रों का जप
पूजा के समय निम्न मंत्रों का जप किया जाना भाग्यकारी माना जाता है:
- गणपति बीज मंत्र:
“ॐ गं गणपतये नमः।” - गणेश ध्यान मंत्र:
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं करना मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।”
प्रसाद अर्पण
भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, गुड़, दूर्वा (दूब) और फल अर्पित करें।
खासकर मोदक और दूर्वा गणेश जी के लिए अति प्रिय होते हैं।
प्रसाद देने के बाद आरती उतारें और परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद सेवन करें।
चंद्र दर्शन का नियम
इस दिन चंद्रमा के दर्शन निवारित किए जाते हैं क्योंकि इससे मिथ्या दोष उत्पन्न हो सकता है।
अगर गलती से चंद्रमा दिख जाए तो “स्यमंतक मणि की कथा” सुनानी चाहिए या “ॐ सोमाय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी व्रत के नियम
गणेश चतुर्थी व्रत को विधिपूर्वक मनाने के लिए कुछ नियमों की पालन करना जरूरी है। ये नियम निम्नलिखित हैं:
- सात्विकता और ब्रह्मचर्य का अनुसरण
इस दिन को शुद्ध रखने के लिए मस्तिष्क, भाषा और क्रिया पर ध्यान दें।
सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- चंद्रमा के दर्शन से बचें
इस दिन चंद्रमा के दर्शन से गलतियाँ हो सकती हैं।
अनजाने में चंद्र को देख लिया तो “स्यमंतक मणि” की कहानी सुनें।
- पूजा के समय दूर्वा का महत्व
गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने से विशेष कृपा मिलती है।
तीन, पांच, सात या ग्यारह दूर्वा चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- प्रतिज्ञा और पालन करें व्रत
व्रती को दिनभर में गणेश जी का स्मरण करना चाहिए।
अगर व्रती ने निर्जल व्रत रखा है, तो उनको संध्या के समय फलाहार करना चाहिए।
- किसी का अपमान वर्जित रखें
इस दिन किसी से अप शब्द न बोलें और किसी जगड़े से दूर रहें।
सभ्य और संयमित भाषा का पालन करना जरूरी है।
- तामसिक भोजन से बचें
इस दिन लहसुन, प्याज, मांस और मदिरा जैसे तामसिक भोजन से दूर रहें।
सात्विक भोजन करें और विशेषकर फलाहार का सेवन करें।
- पूरे दिन गणेश मंत्र का जाप करें
दिनभर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे:
“ॐ गं गणपतये नमः।”
“ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।”
गणेश चतुर्थी व्रत के लाभ
गणेश चतुर्थी व्रत करने से कई धार्मिक और भौतिक लाभ हो सकते हैं:
- संकटों का नाश – जिवन में आनेवाली अडचनें दूर हो सकती हैं।
- बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति – गणेश देव विद्या और बुद्धि के ईश्वर हैं, इसीलिए विद्यार्थियों के लिए यह व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- धन, सुख और समृद्धि – परिवार में खुशी और सुकून बने रह सकते हैं और आर्थिक समस्याएं हल हो सकती हैं।
- रोग और पीड़ा से मुक्ति – इस व्रत से मानसिक और शारीरिक तकलीफें कम हो सकती हैं।
- कार्य में सफलता – नौकरी, व्यापार और अन्य कामों में सफलता प्राप्त हो सकती है।
व्रत का समापन
अगले सुबह, स्नान करके गणपति जी का आदर करें।
व्रत के पूर्ण होने पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
इसके बाद स्वयं सात्विक आहार का आनंद लें।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी व्रत भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है।
यह व्रत अनुष्ठान करने से सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
17 मार्च 2025 को होने वाले गणेश चतुर्थी व्रत का पालन करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलेगा और भक्तों की जिंदगी में प्रोत्साहन आएगा।
इसलिए, सभी गणेश भक्तों को इस व्रत को धार्मिक रीति-रिवाज़ के साथ करना चाहिए ताकि भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
।।जय श्री गणेश।।
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