विजया एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत हर प्रकार की समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने वाला है।आइए जानें विजया एकादशी की कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से इस व्रत को करता है, उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
यह व्रत न केवल सांसारिक सुख प्रदान करता है, बल्कि आत्मा को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है। जो भक्त इस व्रत को श्रद्धा और पूर्ण विधि-विधान से करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
विजया एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
- विजया एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी 2025, दोपहर 1:50 बजे
- विजया एकादशी तिथि समाप्त: 24 फरवरी 2025, दोपहर 1:45 बजे
- व्रत पारण का शुभ मुहूर्त: 25 फरवरी 2025, सुबह 6:50 से 9:08 बजे तक
विजया एकादशी व्रत का महत्व
पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति विजया एकादशी का व्रत करता है, उसके पितृगणों को पापमुक्ति मिलती है और वे स्वर्गलोक में स्थान पाते हैं। व्रती के जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है और उसे शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। यह व्रत वर्तमान जन्म के साथ-साथ पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति दिलाता है।
इस व्रत के प्रभाव से श्रीराम ने अधर्म का नाश कर धर्म का झंडा फहराया। ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा कि जो इस व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है, उसे वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
एकादशी का व्रत भगवान को अत्यंत प्रिय है। स्वयं श्रीराम ने भी इसे रखा था। अतः हर भक्त को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए और भगवान की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
व्रत की तैयारी और पालन
व्रत से एक दिन पूर्व सात्त्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।
पूजा की विधि
- व्रत से एक दिन पूर्व: सात्त्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- व्रत वाले दिन प्रातः: स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- कलश स्थापना करें: सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश लें और उसमें पंच पल्लव (पांच पत्ते) रखें।
- भगवान विष्णु की स्थापना करें: कलश पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: भगवान को धूप, दीप, चंदन, फल, फूल और तुलसी अर्पित करें।
- भजन-कीर्तन करें: पूरे दिन भगवान का स्मरण करें और भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें।
- द्वादशी के दिन: ब्राह्मण को भोजन कराएं, दान दें और फिर व्रत का पारण करें।
व्रत के नियम
- व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
- झूठ, छल और अपवित्र भोजन से बचें।
- व्रत को पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ करें।
विजया एकादशी व्रत कथा
विजया एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को करने से भक्त को हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। इस पावन व्रत की कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर महाराज को सुनाई थी।
एक बार युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे माधव, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महत्व है? कृपया मुझे इसकी कथा सुनाइए।”
भगवान श्रीकृष्ण बोले, “हे राजन, इस एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। इस व्रत को करने से सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और हर कार्य में विजय मिलती है। यह कथा देवर्षि नारद ने ब्रह्मा जी को सुनाई थी और आज मैं तुम्हें सुना रहा हूं।
श्रीराम की सीता खोज
त्रेता युग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 14 वर्षों के वनवास पर थे, तब पंचवटी में रहने के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। इस घटना से श्रीराम और लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हो गए और सीता जी की खोज में निकल पड़े। जटायु से सीता माता की जानकारी मिलने के बाद श्रीराम ने अपनी वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने की योजना बनाई।
लेकिन समुद्र पार करना एक बड़ी चुनौती थी। श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा, “हे लक्ष्मण, मैं इस महासागर को पार करने का कोई उपाय नहीं सोच पा रहा हूं। यदि तुम्हारे पास कोई उपाय हो तो बताओ।”
वकदालभ्य मुनि के आश्रम
लक्ष्मण ने कहा, “प्रभु, आप सर्वशक्तिमान हैं। फिर भी, मैं सुझाव दूंगा कि हम निकट स्थित वकदालभ्य मुनि के आश्रम में जाएं। वे इस समस्या का समाधान बता सकते हैं।”
श्रीराम लक्ष्मण के साथ मुनि के आश्रम पहुंचे और उन्हें प्रणाम कर अपनी समस्या बताई। मुनि ने कहा, “हे राम, आप फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का व्रत रखें। इस व्रत के प्रभाव से आप समुद्र पार कर सकेंगे और रावण पर विजय प्राप्त करेंगे।”
व्रत के दिन श्रीराम, लक्ष्मण और उनकी पूरी सेना ने विधिपूर्वक विजया एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उन्होंने समुद्र पर सेतु बनाया, लंका पर चढ़ाई की और रावण का अंत किया।
व्रत का फल
इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और वह जीवन में विजय प्राप्त करता है। पापों का नाश होता है और भक्त को हर कार्य में सफलता मिलती है। विजया एकादशी व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति का मार्ग है।