श्री राम चालीसा भगवान श्री राम के अद्भुत गुणों और चरित्र का वर्णन करने वाला एक प्रसिद्ध हिन्दू स्तोत्र है, जिसे तुलसीदास ने रचा था।
यह स्त्रोत्र रामभक्ति को बढ़ावा देता है और पठ करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और शांति मिलती है।
इसे मनोवैशिष्ट्य में शांति प्राप्त करने के लिए फायदेमंद माना जाता है।
श्री राम की महिमा की प्रशंसा से भक्तों को जीवन के कठिन संकटों से बचाने की आशा मिलती है।
इसे नियमित रूप से रामवीर धाम पढ़ने से मनोबल में वृद्धि होती है, सकारात्मक विचारों का समापन होता है और परम श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह भक्ति और विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ भक्तों को प्रभु की अनुग्रह का अनुभव कराता है।
श्री राम चालीसा पढ़ने की विधि
श्री राम चालीसा की पाठशैली सरल और प्रभावशाली है। इसे श्रद्धा और निष्ठा से पढ़ने की महत्वपूर्णता है।
निम्नलिखित विधियों का पालन करके श्री राम चालीसा का पाठ करें:
एक स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठें:
पहले एक शुद्ध और पवित्र स्थान चुनें। यह सुनिश्चित करें कि आप शांत माहौल में हैं और कोई बाधा नहीं है।
स्वच्छता का ध्यान रखें:
पवित्रता की देखभाल करते हुए नहाने के बाद, साफ कपड़े पहनकर विराजमान हों।
श्री राम के स्मरण में पूर्ण ध्यान दें:
मान से आदर करते हुए, श्री राम के पादुकाओं में मन लगाएं, ध्यान दें और मन में उन्हें बुलाएँ।
दीपक प्रज्ज्वलित करें:
पूजा के जगह पर दीया या धूपबत्ती जलाएं और मन से ध्यान लगाएं।
श्री राम चालीसा का पाठ
श्री राम चालीसा का पाठ करना आरंभ करें। इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति से पढ़ें, शब्दों का सही उच्चारण करें।
मन, वाणी, और कार्य से ध्यान दें:
भगवान श्री राम के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भावनाओं से चालीसा का पाठ करें।
हर श्लोक को समझने का प्रयास करें।
समाप्ति:
चालीसा पाठ करने के बाद, भगवान श्री राम की आरती भी गाई जा सकती है।
उसके बाद, भगवान के पादों में प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
नियमित रूप से करें पाठ
इसे रोजाना पढ़ने का प्रयास करें, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को अधिक महत्व दिया जाता है।

श्री राम चालीसा
।।दोहा।।
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनंवैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणंबाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
।।चौपाई।।
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥
ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥
सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥
रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥
आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
।। दोहा।।
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
श्री राम चालीसा पाठ के नियम
- राम चालीसा का नियमित अभ्यास करें, विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन।
- पाठ करते समय, स्वच्छ और पावन स्थान पर बैठें।
- पाठ करते समय, मन, वचन और क्रिया से प्रभु राम का ध्यान दें।
- पाठ को विश्रामपूर्वक और किसी भी विचलन के बिना करें।
- प्रत्येक शब्द का सही उच्चारण करें।
- एक दीपक या अगरबत्ती जलाकर चालीसा का पाठ करें।
- पाठ करते समय मुख को दक्षिण दिशा में रखें।
- पाठ समाप्त होने के बाद प्रभु राम के पादों में नमस्कार करें।
- भावुकता और समर्पण के साथ पाठ करें।
- पाठ के दौरान किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचें, शांति से कार्य करें।
श्री राम चालीसा पाठ के लाभ
राम चालीसा का पाठ करने से कई लाभ हो सकते हैं, जो मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं:
- मानसिक शांति: राम चालीसा का पाठ मानसिक तनाव को कम करके आत्मा को शांति प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इसके द्वारा व्यक्ति को आध्यात्मिक स्तर पर उन्नति मिलती है और उसे परमात्मा के प्रति निकटता मिलती है।
- कठिनाइयों से छुटकारा: राम चालीसा जीवन में आने वाली कष्टों और समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने में सहायक होती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: नियमित रूप से राम चालीसा का पाठ करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मुश्किल समय में सहायता: यह मुश्किल समय और चुनौतियों से बाहर निकलने का एक मार्ग दर्शाता है और जीवन में सुधार लाता है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार: इसके पाठ से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
- परिवार में खुशियाँ: राम चालीसा का पाठ करने से परिवार में खुशियाँ, शांति और समृद्धि आती है।
- आध्यात्मिक सन्देश: यह व्यक्ति को असली सत्य और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
- भय और चिंता से मुक्ति: राम चालीसा से भय, चिंता और भ्रांतियाँ दूर हो जाती हैं।
- जीवन में संतुलन: यह जीवन में संतुलन लाने में मदद करता है।

निष्कर्ष
राम चालीसा एक शक्तिशाली और पवित्र प्रार्थना है, जो श्रीराम की पूजा और भक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इसका नियमित पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति और जीवन में समृद्धि लाता है।
यह केवल आंतरिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ व्यक्ति को जीवन के कठिनाइयों से भी निकाल लेता है।
जब इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा जाता है, तो भक्ति, श्रद्धा और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है।
ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह भगवान श्रीराम का संदेश प्राप्त करता है।
Frequently Asked Questions Related to श्री राम चालीसा
श्रीराम चालीसा क्या है और इसका क्या महत्व है?
श्रीराम चालीसा एक पावित्र पाठ है जो 40 छंदों में लिखी गई है और भगवान राम की प्रशंसा करती है।
इसमें भगवान राम की महिमा, कृपा, और गुणों का वर्णन है। इसके पाठ से भक्ति और आनंद मिलता है।
श्रीराम चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
श्रीराम चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ब्रह्ममुहूर्त या संध्या समय में इसे पढ़ना अच्छा माना जाता है।
पाठ के लिए साफ कपड़े पहनकर, शांत स्थान में बैठें और भगवान राम को ध्यान में रखें।
क्या श्रीराम चालीसा का पाठ किसी विशेष दिन करना शुभ होता है?
श्रीराम चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार, शनिवार, और श्रीराम नवमी के दिन इसे विशेष महत्व दिया जाता है।
श्रीराम चालीसा के पाठ के लिए कौन-कौन से नियम आवश्यक हैं?
पाठ से पहले स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और पावित्र स्थान में बैठें।
दीपक जलाएं, भगवान राम का स्मरण करें, और पूरी श्रद्धा और मनोयोग से पाठ करें।
क्या श्रीराम चालीसा का पाठ करने से जीवन की समस्याएं दूर हो सकती हैं?
हाँ, श्रीराम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में उत्पन्न होने वाली मुश्किलें, भय, और संघर्ष समाप्त हो जाते हैं।
पढ़े, भगवान श्री राम के मंत्र
जरूर पढ़ें, श्री राम स्तुति और श्री राम रक्षा स्त्रोत