आप वही बन जाते हैं जो आप मानते हैं
3 ऐसे श्रीमद्भगवद्गीता के नियम जिनसे एक विद्यार्थी अपने जीवन में सफल हो सकता है
एक बार क्या होता है की अर्जुन श्री कृष्णा से पूछते हैं की हे कृष्णा मुझे कुछ समझ नहीं अ रहा है | इतना बड़ा युद्ध मुझे लड़ना है क्या मेरी इसमें विजय होगी मे लड़ पाउँगा ओपने विरोधियों से या फिर नहीं मुझे मेरे ऊपर भरोसा नहीं हो रहा हाई कृष्णा की मे इस युद्ध को लड़ पाउँगा या नहीं |
श्री कृष्णा भगवन बोले हे पर्थ जो तूम सोचोगे न वही बनोगे अगर तूम ये सोच रहे हॉप मी तुम ये युद्ध हार जाओगे तो निश्चित है की तूम ये युद्ध हार जाओगे लेकिन अगर तूम सोचोगे की तूम ये युद्ध जीत जाओगे तो तूम अवस्य जीतोगे पर्थ
तो कृष्णा भगवन हमें इससे ये सिखने की कोशिश करते हैं की हमें अपने ऊपर भरोसा होना चाहिये हमें अपने आप पर भरोसा होना चाहिये की हम हमें सपने को पूरा कर सकते हैं |
अपना कर्म जरुर करो
एक बार की बात है दो दोस्त थे और वो जा रहे थी उनसे एक आदमी मिला और वो एक जगह का नाम बताया और बोला यहाँ पे जमीन में खजाना है तो दोनों दोस्त बहुत खुश हुए और बोले जगह का नाम बताओ तो आदमी बोला बताऊंगा बताऊंगा लेकिन एक शर्त है जहाँ पे खजाना है वहां पे तुम लोगों को हर रोज 30 दिन तक खोदना होगा तो बच्चे बोलते हैं ठीक है कर लेंगे लेकिन फिर वो इंसान बोलता है की तुम दो बच्चे हो तुम दोनों को रोज 12 घंटे खोदाई करनी है एक बार में एक बच्चा 12 घंटे उसके बाद दूसरा तो वो बोलते हैं ठीक है हम कर लेंगे तोह वो बच्चे 15 दिनों तक लगातर 12, 12 घंटे खोदाई की और उनको कुछ नहीं मिला फिर आया 16 दिन इस दिन मौसम थोडा ख़राब था |
तो पहला लड़का सोचा आज रहने देता हूँ आज तो मौसम ख़राब है एक दिन न जाने से थोड़ी न कुछ हो जायेगा और सोचा की इतना दिन खोदने के बाद भी हमें कुछ नहीं मिला वो इंसान सायद हमें पागल बना रहा था लेकिन दूसरा बच्चा जाता है वो अपना कर्म करता है और उससे उसी दिन खजाना मिल जाता है
श्री कृष्णा भी हमें यही सिखाना कहते हैं की हमें अपना कर्म करना चाहिये और फल की चिंता नही करनी चाहिये | इसी तरह विद्याथियो को भी पढाई करनी चाहिये बिना किसी फल के बारे में सोचे हुए |
मन पर काबू करना
भगवद गीता में लिखा गया है की हमें अपने मन पर काबू रखना चाहिये हमें अपने दिमाक को अपने काबू में रखना चाहिये | और भगवद गीता में ये भी लिखा हुवा है की दो तरह के काम होते हैं एक होता है सात्विक (Satvik) एक तामसिक (Tamsik)
तामसिक वो काम होते हैं जिनको करे हमें आनंद मिलता है खुसी मिलती है |
सात्विक ये ऐसे काम होते हैं जिनको करने मजा बिलुक नहीं आता आनंद नहीं मिलता तभी हम इसको करते हैं |
तो अगर एक विद्यार्थी बनकर देखा जाये तो उनको फ़ोन चलने में दोस्तों से हरदम बातें करने में और बहुत सी ऐसी चीजों को करने में मजा अता है जिसे उनको कुछ नहीं मिलता बल्कि उनका भविष्य ख़राब होता है |और अगर वो ऐसा काम करे जिन्हें करने में उन्हें बिलकुल मजा नहीं आता जैसे सुभे उठ के पढना और फ़ोन का इस्तमाल काम करना अगर वो सात्विक मन से काम करेंगे तो वो जरुर अपने जीवन में सफल होंगे |
3 श्रीमद्भगवद्गीता के नियम जिनसे एक विद्यार्थी अपने जीवन में सफल हो सकता है अगर आप इस दिए गए 3 नियम को अपने जीवन में लाते हैं तो आप निश्चित रूप से अपने हर परीक्षा में अच्छा प्रदर्सन करेंगे |