संकटनाशन गणेश स्तोत्र एक अद्भुत स्तोत्र है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। यह स्तोत्र नारद जी के वचनों से प्रारंभ होता है, जिसमें लिखा है “नारद वाच”। नारद जी ने कहा, अब जब आप इसे पढ़ेंगे तो देखिए कि इसे कितनी सुंदरता से लिखा गया है।
यदि कोई विद्यार्थी प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसे ज्ञान प्राप्त होता है। धन, अच्छी नौकरी, या अच्छे व्यवसाय की इच्छा रखने वालों को भी इस स्तोत्र के पाठ से लाभ मिलता है। जिनकी संतान प्राप्ति की इच्छा हो, उनकी यह इच्छा भगवान श्री गणेश की कृपा से पूरी होती है।
जो मोक्ष की कामना रखते हैं, वे इस स्तोत्र के पाठ से भगवान की कृपा से मोक्ष और शांति प्राप्त करते हैं।
यह माना जाता है कि यह दिव्य स्तोत्र आपकी सेवा में प्रस्तुत है। इसे प्रतिदिन पढ़ना चाहिए। यदि इस स्तोत्र का प्रतिदिन पांच बार या ग्यारह बार पाठ किया जाए और तीन महीने तक ऐसा किया जाए, तो यह असीम लाभ प्रदान करता है।
सरल और प्रभावशाली संस्कृत
इस स्तोत्र में प्रयुक्त संस्कृत बहुत कठिन नहीं है। इसे पढ़ना बहुत आसान है। एक साधारण शिक्षित व्यक्ति भी इसे आसानी से पढ़ सकता है। यदि आपको संस्कृत या हिंदी पढ़ने में परेशानी होती है, तो आप इस स्तोत्र को सुन सकते हैं। इसे सुनने के लिए नियमित समय तय करें और विधि के अनुसार इसे पढ़ें या सुनें।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ प्रारंभ करने का समय
आप इस स्तोत्र का पाठ गणेश चतुर्थी या शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन से शुरू कर सकते हैं। यदि आपको चतुर्थी या शुक्ल पक्ष के दिनों के बारे में जानकारी नहीं है, तो आप इसे किसी भी बुधवार को सुबह शुरू कर सकते हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ की विधि
सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। किसी गणेश मंदिर या शिव मंदिर में जाएं, जहां गणेश जी की मूर्ति हो।
एक दीपक लें और उसमें थोड़ा हल्दी या रोली मिलाकर मंदिर लेकर जाएं। वहां विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी के सामने नतमस्तक होकर, दीपक जलाएं। भगवान गणेश जी को धूप-दीप अर्पित करें, तिलक लगाएं और तिलक को अपने माथे पर लगाएं। इसके बाद मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। भगवान श्री गणपति गजानन से यह प्रार्थना करें कि,
“हे प्रभु, मैं यह सब आपकी सेवा में अर्पित करता हूं। कृपया इसे स्वीकार करें। आज से मैं आपकी साधना प्रारंभ कर रहा हूं। मुझे ऐसा आशीर्वाद दें कि मेरे मन में कभी भी आलस्य न आए। आपकी कृपा से मैं जीवन में फल प्राप्त कर सकूं। मेरी जो भी इच्छाएं या आकांक्षाएं हैं, वे आपकी कृपा से पूर्ण हों।”
इस भावना के साथ, अपनी मनोकामना भगवान श्री गणेश जी को बताएं। इसके बाद 51 या 108 दूर्वा घास अर्पित करें। यदि दूर्वा घास न मिले तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि मिले तो यह अत्यंत शुभ होता है।
पूरे मन से गणेश जी की आराधना करें और संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
घर आकर करें यह कार्य
मंदिर से लौटने के बाद, घर पर बैठकर भगवान श्री गणेश का संकटनाशन स्तोत्र पढ़ें। इसे दिन में एक बार, पांच बार या 11 बार पढ़ें। अगर संभव हो तो इसे बुधवार को विशेष रूप से पढ़ें।
आराधना की नियमितता
- प्रत्येक बुधवार को भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें।
- घर पर भी दूर्वा चढ़ाएं और बाद में इसे किसी पौधे या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।
- प्रतिदिन भगवान गणेश को थोड़ा प्रसाद अर्पित करें। यह बताशा या दूध हो सकता है।
- भगवान गणेश की धातु की छोटी मूर्ति घर में रखें और प्रतिदिन उन्हें तिलक लगाएं।
स्तोत्र के लाभ
यह स्तोत्र हर समस्या का समाधान है। विद्यार्थी, व्यवसायी, विवाह में बाधा का सामना कर रहे लोग, या जो भी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, वे इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
यह “ऑल इन वन” स्तोत्र है, जो हर किसी के लिए लाभकारी है। नियमित पाठ और गणेश जी की आराधना से आप जीवन में हर प्रकार की सफलता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् पाठ
नारद उवाच –
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्तोत्र का नियमित पाठ
- प्रतिदिन यह संकटनाशन स्तोत्र पढ़ें।
- इसे तीन महीने तक, साढ़े तीन महीने तक, या तब तक पढ़ें जब तक आपकी इच्छाएं पूरी न हो जाएं।
- आप इसे अपने जीवन भर भी पढ़ सकते हैं।
इस आराधना के माध्यम से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन की हर समस्या का समाधान करें।यदि इस आराधना से आपको लाभ मिलता है, तो इसे दूसरों के साथ साझा करें। ऐसा करने से और भी लोग लाभान्वित होंगे।
जो भी इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे चित्र जैसे दृश्य दिखाई देते हैं। उस व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
अधिक जानकारी के लिए : गणेश चालीसा