होली एक पवित्र धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्व है। होली अधिक महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि आज के दिन बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी। इस दिन सभी भाईचारे और प्रेम के साथ एक-दूसरे के गले मिलते हैं और रंग लगाते हैं, मीठे पकवान खाते हैं और बीती बुरी बातों को भूलकर आपस में प्रेम के रंग में रंग जाते हैं।
होली के पूर्व पर होलिका दहन करना अनिवार्य होता है। हर घर, हर परिवार में सुखी लकड़ियों तथा उपले इकट्ठा करके सबसे पहले होलिका जलाना होता है।
हर घर में मीठे पकवान बनते हैं और नए-नए कपड़े खरीद कर आते हैं। होली के दिन रंग-बिरंग की मिठाइयाँ तथा गुजिया विशेष होती है जिसे हर घर में बनाया और खाया जाता है।
घर पर गुजिया या पकवान खुद भी खाए जाते हैं। होली मिलने के लिए जो लोग आते हैं उन्हें भी गुजिया और मीठे पकवान खिलाए जाते हैं। इसी प्रकार होली में हम मेहमानों का स्वागत करते हैं और खुद भी हर घर में जाकर होली मिलन करते हैं।
हिंदू धर्म में होली के त्योहार को पवित्र इसलिए मानते हैं क्योंकि होली यह दर्शाती है कि हमेशा ही बुराई पर अच्छाई की विजय होती है।
होलिका दहन 2024 | Holika Dahan 2024
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 से लेकर 12:27 तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
2024 में होली कब मनाएंगे? | 2024 Mein Holi Kab Manaye | When To Celebrate Holi in 2024?
फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 24 मार्च को सुबह 09:54 से शुरू हो रही है और 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर तिथि समाप्त होगी।
साल 2024 में होली का पर्व हर्षोउल्लास के साथ 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा एवं उसके एक दिन पूर्व 24 मार्च 2024 को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा।
होलिका दहन पूजा 2024 | Holika Dahan Puja 2024
(i). सर्वप्रथम होलिका दहन के लिए किसी चौराहे या शांत स्थान का चुनाव किया जाता है या कुछ स्थानों पर हर घर के आंगन में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा अपने-अपने रीति-रिवाज़ के अनुसार मनाई जाती है तो आपके यहां जिस प्रकार होलिका दहन होता हो उसी तरह का आयोजन अपने घर, मोहल्ले या गली-चौराहे में कर लें।
(ii). वहां पर सूखी लड़कियों तथा गाय के गोबर के उपले 10 दिन पहले से इकट्ठे किए जाते हैं
(iii). इसके बाद हर घर से शरीर पर लगे हुए सरसों के उबटन की मेल को लाकर होलिका में डाला जाता है परंतु इससे पहले होलिका की अग्नि को प्रज्वलित किया जाता है और प्रज्वलित करने से भी पूर्व इसका पूजन होता है।
(iv). होलिका की पूजा के लिए एक जटा वाला नारियल, अक्षत, रोली और कुमकुम अनिवार्य होता है।
(v). सर्वप्रथम होलिका की अग्नि में एक साबुत नारियल, अक्षत, रोली और पुष्प के द्वारा अग्नि का पूजन किया जाता है।
होलिका दहन के महत्वपूर्ण उपाय | Holika Dahan Ke Mahatvapoorna Upay | Important Remedies of ‘Holika Dahan’
शास्त्र की ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के दिन कुछ विशेष चीज़े अपने घर में करने से व्यक्ति अपने सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है और आने वाले जीवन में उसे सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
(i). सर्वप्रथम अपने घर में पीली सरसों का उबटन तैयार करें और पूरे परिवार के सदस्यों को यह उबटन लगाएं। उबटन लगाने के उपरांत उबटन की मेल को एक स्थान पर एकत्रित करके होलिका के अग्नि में जला दें। ऐसा करने से व्यक्ति के रोग, तकलीफ और बुरे ग्रहों की पीड़ा समाप्त हो जाती है।
(ii). होलिका की अग्नि में साबुत नारियल डालने से शनि, राहु और केतु के दुष्परिणामों से मुक्ति मिल जाती है।
(iii). होलिका की अग्नि की सात परिक्रमा करने से व्यक्ति बुरे से बुरे समय से तथा संकट से निकल जाता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानी
राजा हिरण कश्यप स्वयं को भगवान मानता था साथ ही अपनी प्रजा को भी खुद को भगवान मानने पर विवश करता था परंतु उनका स्वयं का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे और वह अपने पिता को भगवान ना मानकर भगवान विष्णु को अपना प्रभु, आराध्य तथा भगवान मानते थे। वह दिन और रात भगवान विष्णु की पूजा तथा नाम जप में मग्न रहते थे। यह बात उनके पिता हिरण कश्यप को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। वह अपने पुत्र को विवश करते थे कि वे भगवान विष्णु की भक्ति को छोड़कर स्वयं उन्हें भगवान माने। उनके लाख प्रयास के बाद भी उनके पुत्र प्रहलाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो अंत में वह उन्हें जड़ से खत्म करने के लिए एक योजना बनाएं।
राजा हिरण कश्यप की बहन होलिका को ब्रह्मा जी द्वारा दिया हुआ यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में जल नहीं सकती अर्थात अग्नि उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। इस बात का फायदा उठाकर हिरण कश्यप ने एक चिता तैयार किया और उस चिता में अपनी बहन को प्रहलाद को गोद में लेकर बैठाया। भगवान की असीम अनुकम्पा से उनकी बहन होलिका उसी अग्नि में जल गई और वहीँ भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उस अग्नि से सकुशल वापस आए।
भगवान विष्णु के इस चमत्कार तथा प्रहलाद की इस भक्ति के कारण सारी प्रजा प्रसन्न हो गई और होली का पर्व मनाया। आपस में रंग-गुलाल लगाया, मिठाइयां खाई और अलग-अलग पकवान हर घर में बनाए जाने लगे। चारों तरफ प्रसन्नता की लहर दौड़ गई इसी कारण होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी कहा जाता है।
धन्यवाद
*Red Color In The Article Denotes Important Points.