मां लक्ष्मी न केवल शिव शक्ति हैं, बल्कि मां शक्ति भी हैं, जिनकी शुरुआत और अंत एक अनंत रहस्य है। ऐसी मां लक्ष्मी का एक बहुत छोटा अंश धन, संपत्ति और समृद्धि का प्रतीक है। लक्ष्मी चालीसा का नित्य पाठ, स्वच्छता, गुप्त दान, और वैभव लक्ष्मी व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
आज के समय में हर व्यक्ति धन और सुख-सुविधा की चाह रखता है। हर किसी को बड़ा घर, बड़ी गाड़ी और अच्छा व्यापार चाहिए।
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा गया है। जिस पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसका घर धन और संपत्ति से भर जाता है।
मां लक्ष्मी की कृपा कैसे प्राप्त करें?
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लक्ष्मी चालीसा का नित्य पाठ करें।
- लक्ष्मी चालीसा के पाठ से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि सुख-समृद्धि और मानसिक शांति भी मिलती है।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनके पूजन का विशेष ध्यान रखें।
पूजन विधि
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थापना करें।
- प्रतिदिन श्रद्धा और नियम से उनकी पूजा-अर्चना करें।
- पूजन के बाद मां लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें।
- यह सुनिश्चित करें कि पूजा स्थान साफ और पवित्र हो।
लक्ष्मी चालीसा के लाभ
- परिवार में शांति: लक्ष्मी चालीसा के पाठ से परिवार में चल रहे झगड़े और कलह समाप्त होते हैं।
- धन और सुख-समृद्धि: पाठ करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
- वैवाहिक जीवन में सुधार: पति-पत्नी के बीच के मतभेद और विवाद समाप्त होते हैं।
- ग्रह दोषों का निवारण: शुक्र ग्रह की महादशा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
- व्यापार और नौकरी में लाभ: लक्ष्मी चालीसा का पाठ और शुक्रवार का व्रत रखने से व्यापार में समस्याएँ समाप्त होती हैं।
- नौकरी प्रमोशन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो प्रमोशन और अन्य लाभों की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
शुक्र ग्रह की महादशा का प्रभाव
शुक्र ग्रह की महादशा का समय 3 वर्ष 4 महीने का होता है। इस दौरान व्यक्ति को आर्थिक हानि और सामाजिक संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उसकी महादशा के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- हर शुक्रवार का व्रत रखें।
- मां लक्ष्मी की आराधना से शुक्र ग्रह मजबूत होता है और जीवन में सुख, धन और समृद्धि का आगमन होता है।
- शुक्र ग्रह की महादशा के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए 21 दिनों तक व्रत रखें। इसके अलावा, हर शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत रखें। यह व्रत धन की वृद्धि और सुख-शांति के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
दान का महत्व
मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए दान का विशेष महत्व है।
- दान हमेशा गुप्त रूप से करना चाहिए।
- कहा गया है कि यदि आप दाहिने हाथ से दान कर रहे हैं, तो बाएं हाथ को इसका पता नहीं होना चाहिए।
- इस प्रकार के गुप्त दान से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
- यदि आप अपने व्यक्तिगत आय का एक हिस्सा गरीबों की भलाई और विश्व कल्याण के लिए खर्च करते हैं, तो मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है और आपके सभी कार्य सफल होते हैं।
लक्ष्मी चालीसा का पाठ और व्रत
- मां लक्ष्मी हमेशा स्वच्छ और पवित्र स्थानों पर वास करती हैं।
- हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, लक्ष्मी जी उन स्थानों पर नहीं रहतीं जहाँ गंदगी और दुर्गंध हो।
- इसलिए, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से पहले घर और पाठ का स्थान साफ़ रखें।
- यह परंपरा दीपावली पर घर की सफाई करने से भी जुड़ी है, जिससे मां लक्ष्मी का वास होता है।
पाठ की विधि
- पाठ करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ करें जहाँ आप लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने वाले हैं।
- स्वच्छता के साथ पाठ करें और पवित्रता का ध्यान रखें।
श्री लक्ष्मी चालीसा
| दोहा ||
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
॥ श्री लक्ष्मी चालीसा ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
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जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
निष्कर्ष
मां लक्ष्मी की कृपा से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
यदि आप सच्चे मन और गहराई से लक्ष्मी चालीसा का नित्य पाठ करते हैं, तो आपको न केवल धन और सुख की प्राप्ति होगी, बल्कि आपका मन हमेशा प्रसन्न रहेगा और परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहेगी।