पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस लेख में आपको पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूरी जानकारी मिलेगी जैसे की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि और व्रत नियम |
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
इस व्रत का महत्व भगवान विष्णु की आराधना से जुड़ा है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
- एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त:
- 11 जनवरी 2025 को सुबह 7:15 से 9:20 बजे तक
- व्रत पारण की कुल अवधि: 2 घंटे 5 मिनट
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 जनवरी 2025 को रात 12:02 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी 2025 को सुबह 10:20 बजे
कथा
भद्र नगर में एक समय राजा सुकेतु का राज्य था। उनकी पत्नी का नाम शव्य था। उनके कोई संतान न होने के कारण वे बहुत दुखी रहते थे।
एक दिन दोनों राजा-रानी ने मंत्रियों को राज्य सौंपकर वन की ओर प्रस्थान कर दिया। उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया, परंतु तुरंत ही राजा ने सोचा कि आत्महत्या से बड़ा कोई पाप नहीं है।
इतने में उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए। उन ऋषियों ने उन्हें एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा-रानी ने उनकी बात मानकर पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।
पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि और व्रत
- व्रत का संकल्प:
- दशमी के दिन केवल एक बार सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा:
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष गंगाजल, तुलसी, तिल के फूल, और पंचामृत चढ़ाएं।
- दीप जलाएं और भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा:
- पति-पत्नी सुबह मिलकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
- ‘संतान गोपाल मंत्र’ का 108 बार जाप करें। संतान गोपाल मंत्र- ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगता: क्लीं ऊं।। इसका अर्थ है- देव की पुत्र! गोविन्द! वासुदेव! जगन्नाथः श्री कृष्ण! मुझे पुत्र दीजिये। मैं आपकी शरण में आया हूं |
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और गरीबों को भोजन और दक्षिणा दें।
व्रत का पारण
- द्वादशी तिथि पर व्रत खोलें।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
पौष पुत्रदा एकादशी का फल
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद।
- पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि।
- भगवान विष्णु की कृपा से पापों का नाश और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति।
सार
इस दिन की गई भक्ति, व्रत और पूजा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है। पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर इस विधि से भगवान विष्णु की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सफल बनाएं।