हरतालिका तीज व्रत सुहागिनों का बहुत बड़ा व्रत है इसमें मां गौरी और भगवान भोलेनाथ की पूजा होती हैl कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन औरतें अखंड सौभाग्य को प्राप्त करती हैं तथा कुंवारी लड़कियां यदि इस व्रत को धारण कर विधि विधान से व्रत के नियम का पालन करती हैं तो मनवांछित पति की प्राप्ति होती है| हरतालिका तीज व्रत धारण करने वाले महिला को माता गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भगवान शिव के समान उसकी जोड़ी दीर्घायु एवं अमर बनती है|
हरतालिका तीज हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैl पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है की माता पार्वती ने इस व्रत को भगवान भोलेनाथ को पति रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था और उन्होंने सभी सुहागनों को वरदान दिया कि जो भी इस दिन व्रत धारण कर भगवान भोलेनाथ की पूजा करेगा उसको मेरे सामान प्रति की प्राप्ति होगीl
हरतालिका तीज व्रत एवं पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 17 सितंबर दिन रविवार को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 18 सितंबर 2023, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जाएगी।
पूजा के लिए इस दिन 3 शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त 06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है। उसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 12 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक है। इसके बाद तीसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 51 मिनट तक है।
हरितालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज में पहला और बड़ा नियम यह है कि इस व्रत को निर्जला निराहार रखा जाता है। पूरे दिन ना तो अन्न ग्रहण किया जाता है ना ही जल ग्रहण किया जाता हैl शाम को प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ की माता पार्वती के साथ बालू की या मिट्टी की प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा किया जाता हैl पूरी रात जागरण, कीर्तन, भजन इत्यादि किया जाता हैl सुबह शिवलिंग का विसर्जन और स्नान-दान करने के बाद जल ग्रहण किया जाता है तथा व्रत का पारण करने से पूर्व ब्राम्हण को अन्य एवं वस्त्र का दान करने के उपरांत ही पारण किया जाता है|
हरतालिका तीज व्रत में रात्रि को सोने से स्त्री को दोष लगता हैl इस कारण हरतालिका तीज व्रत में रात्रि शयन वर्जित बताया गया है तथा झूठ, निंदा चुगली, इस तरह की चीजों से भी बचना चाहिए|
हरतालिका तीज व्रत पूजा सामग्री
हरतालिका तीज व्रत में निम्नलिखित विशेष पूजा सामग्रियों का समावेश करना जरूरी है :-
रोली, कपूर, दीपक, सोलह श्रृंगार की सामग्री, शिव प्रतिमा बनाने के लिए बालू तथा मिट्टी की आवश्यकता होती है कलश तथा भगवान शिव और माता पार्वती की यदि एक प्रतिमा हो तो बहुत उचित होगा|
हरतालिका तीज पूजा विधि
हरतालिका तीज व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में होती है। केले के खंभे से मंडप तैयार करके बालू तथा मिट्टी मिलाकर शिवलिंग तैयार किया जाता हैl तथा भगवान भोलेनाथ की विधिवत अभिषेक करने के बाद माता गौरी को सिंदूर चढ़ाया जाता हैl सुगंधित फल-फूल से पूजा करने के बाद आरती, कीर्तन तथा रात्रि जागरण किया जाता है और पूरी रात पूजा करने के बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शिवलिंग का विसर्जन किया जाता हैl नदी, तालाब या पवित्र जल में शिवलिंग को विसर्जित करने के बाद ब्राह्मण को दान दिया जाता हैl दान में अन्न के साथ-साथ वस्त्र तथा दक्षिण इत्यादि शामिल किया जाता हैl
यह करने के बाद सभी सामग्रियों को अपने हाथों से स्पर्श करने के बाद उसे ब्राह्मण के यहां भिजवा दें या ब्राह्मण को बुलाकर के उसे वह सामग्री भेंट स्वरूप देंl इसके बाद नहा धोकर साफ स्वच्छ वस्त्र पहने माता गौरी की पूजा करें उन्हें सिंदूर अर्पित करें और उन्हें सिंदूर अर्पित करके वही सिंदूर वाला हाथ अपनी मांग में लगाएं तथा पति के चरण स्पर्श करने के बाद व्रत का पारण करें l
हरतालिका तीज व्रत में पारण का सही समय
हरतालिका तीज व्रत का पारण ब्रह्म मुहूर्त में होता है तो 3:00 से 5:00 बजे के बीच इस व्रत का पारण कर लेना चाहिएl बहुत अधिक सुबह यानी कि सूर्योदय होने के बाद भी इस व्रत का पारण नहीं किया जाता है| पारण में शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करना उचित होता है|
उम्मीद करती हूं यह जानकारी आपको पसंद आई होगी|
धन्यवाद
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~ Sadhana Pandey